रियल एस्टेट कंपनियों को आगामी वर्षों में को-वर्किंग, को-लिविंग क्षेत्रों से बड़ी उम्मीद

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Jul, 2021 04:01 PM

real estate companies have high hopes from co working

कोविड-19 महामारी के बीच बड़े उपक्रमों से लचीले कार्यस्थलों की मांग तेज है लेकिन घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) की अवधारणा की वजह से को-लिविंग खंड प्रभावित हुआ है। इसकी वजह यह है कि शैक्षणिक संस्थान महामारी की वजह से बंद हैं।

नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी के बीच बड़े उपक्रमों से लचीले कार्यस्थलों की मांग तेज है लेकिन घर से काम (वर्क फ्रॉम होम) की अवधारणा की वजह से को-लिविंग खंड प्रभावित हुआ है। इसकी वजह यह है कि शैक्षणिक संस्थान महामारी की वजह से बंद हैं। उद्योग विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। रियल्टी कंपनियों के निकाय नारेडको तथा उसके ज्ञान भागीदार कुशमैन एंड वेकफील्ड ने मंगलवार को ‘को-वर्किंग' और ‘को-लिविंग' पर एक वेबिनार का आयोजन किया। 

वेबिनार को संबोधित करते हुए नारेडको के अध्यक्ष निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि यदि आईटी क्षेत्र लचीले कार्यस्थल की ओर रुख करता है, तो को-वर्किंग क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। अभी यह क्षेत्र अपने खुद के कार्यालय परिसर को प्राथमिकता देता है। उन्होंने कहा कि को-लिविंग खंड के रूप में विद्यार्थियों के लिए आवास अगले एक-दो साल में काफी बड़ा क्षेत्र होगा। 

हीरानंदानी ने कहा कि शैक्षणिक संस्थान इतने बड़े स्तर पर हॉस्टल का निर्माण नहीं कर पाएंगे। वे को-लिविंग परिचालकों के साथ भागीदारी करना पसंद करेंगे। कुशमैन एंड वेकफील्ड के प्रबंध निदेशक (भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया) अंशुल जैन ने कहा कि इस समय को-वर्किंग क्षेत्र पहले की तुलना में कहीं अधिक आकर्षक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इस अनिश्चित समय में को-वर्किंग क्षेत्र कंपनियों की जरूरत है। 

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