Edited By Supreet Kaur,Updated: 03 Sep, 2018 11:58 AM
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के तहत पॉलिसी न बनाने वाले राज्यों में कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध लगाने से रियल एस्टेट डेवलपर्स परेशानी में पड़ गए हैं। डेवलपर्स के संगठन नारेडको ने कहा है कि इससे ऑनगोइंग हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर...
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट द्वारा सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट के तहत पॉलिसी न बनाने वाले राज्यों में कंस्ट्रक्शन पर प्रतिबंध लगाने से रियल एस्टेट डेवलपर्स परेशानी में पड़ गए हैं। डेवलपर्स के संगठन नारेडको ने कहा है कि इससे ऑनगोइंग हाउसिंग प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा और होम बायर्स को घरों की डिलीवरी में देरी होगी।
घरों की सप्लाई पर पड़ेगा असर
नारेडको के नेशनल प्रेसिडेंट डॉ. निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि दीर्घकालिक परिदृश्य को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की मंशा बहुत अच्छी है, लेकिन अचानक कंस्ट्रक्शन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने से हाउसिंग सेक्टर पर नेगेटिव इम्पैक्ट दिखेगा। इससे घरों की सप्लाई रुक जाएगी, जो घरों के जरूरतमंदों पर असर डालेगी। राज्य सरकारों द्वारा पॉलिसी को नोटिफाई न करने का खामियाजा होम बायर्स को भुगतना पड़ेगा। इससे बेहतर है कि सुप्रीम कोर्ट, राज्य सरकारों पर पैनल्टी लगाए और नए कंस्ट्रक्शन पर रोक लगाई जाए, जो प्रोजेक्ट्स बन रहे हैं, उन्हें इस प्रतिबंध में शामिल नहीं किया जाए। हीरानंदानी ने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह मामला सुलझ जाएगा और ऑनगोइंग कंस्ट्रक्शन पर इसका असर नहीं दिखाई देगा।
क्या है मामला
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, महाराषट्र और चंडीगढ़ में अगले आदेश तक निर्माणों पर रोक लगा दी थी। जस्टिस मदन लोकुर की पीठ ने पास किए गए आदेश में कहा कि ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के तहत जब तक ये राज्य कोई नीति नहीं बनाते तब तक यहां निर्माणों पर रोक रहेगी। कोर्ट ने यह आदेश एक स्वत: संज्ञान के आधार पर सुने जा रहे मामले के दौरान दिया। मामले की सुनवाई 9 अक्तूबर को होगी