Edited By Supreet Kaur,Updated: 06 Nov, 2019 11:33 AM
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक जमीन जायादाद के विकास से जुड़े क्षेत्रों के समक्ष मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्व में घोषित विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन उपायों में...
मुंबईः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को कहा कि सरकार और रिजर्व बैंक जमीन जायादाद के विकास से जुड़े क्षेत्रों के समक्ष मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि पूर्व में घोषित विभिन्न क्षेत्रों के लिए प्रोत्साहन उपायों में रियल्टी क्षेत्र अछूता रह गया था। वित्त मंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र की हालत का असर दूसरे क्षेत्रों , खासकर बुनियादी उद्योगों पर पड़ता है।
सीतारमण ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘सरकार क्षेत्र को लेकर काफी गंभीर है और आरबीआई के साथ मिलकर काम कर रही है। हम यह देख रहे हैं कि जहां जरूरी है, वहां हम कैसे नियमों में बदलाव लाकर उन लोगों की मदद कर सकते हैं जो रियल्टी क्षेत्र में प्रभावित हैं।'' गौरतलब है कि जुलाई में बजट पेश होने के बाद सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों को प्रोत्साहन देने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसमें कंपनी कर घटाकर 22 फीसदी किया जाना शामिल है। इसके जरिए कंपनियों को 1.3 लाख करोड़ रुपए के बराबर कर राहत दी गई। उन्होंने स्वीकार किया कि बाजार और खपत मांग बढ़ाने के लिए अगस्त से अब तक घोषित विभिन्न प्रोत्साहन उपायों से रियल एस्टेट क्षेत्र को पटरी पर लाने में मदद नहीं मिली है। ‘‘अभी भी बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। एक क्षेत्र जिसे मैंने छुआ नहीं लेकिन इसका सकारात्मक प्रभाव होता है तथा शेयर बाजार पर भी इसका असर पड़ सकता है, वह है रियल्टी क्षेत्र।''
सीतारमण ने कहा कि कई निवेश कोष हमसे संपर्क कर कह चुके हैं कि वे इस क्षेत्र में निवेश को तैयार है लेकिन वे कुछ नीति समर्थन चाहते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘कई वैकल्पिक फंड है जो हमसे समर्थन की बात कर रहे हैं।'' ऐसा माना जाता है कि रियल्टी क्षेत्र में कालाधन का बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा था जिससे इसमें तेजी थी। लेकिन नवंबर 2016 में नोटबंदी और मई 2017 में रेरा पेश किए जाने तथा जुलाई 2017 में माल एवं सेवा कर लागू होने से रियल्टी क्षेत्र पर असर पड़ा है और यह क्षेत्र अबतक तीन झटकों से उबर नहीं पाया है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में नकदी संकट का भी क्षेत्र पर असर पड़ा है।