गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन, पर अब रोटी भी होगी महंगी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 26 May, 2018 09:34 AM

record of wheat production but now roti will be expensive

जो मौजूदा केन्द्रीय मंत्री 2014 से पहले मनमोहन सरकार को पैट्रोल और डीजल की कीमत व महंगाई को लेकर घेर रहे थे वे अब खुद सत्ता में आकर दोनों ही मुद्दों में घिरते हुए दिखाई दे रहे हैं। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा पैट्रोल और डीजल कीमतों को लेकर हल्ला हो...

नई दिल्लीः जो मौजूदा केन्द्रीय मंत्री 2014 से पहले मनमोहन सरकार को पैट्रोल और डीजल की कीमत व महंगाई को लेकर घेर रहे थे वे अब खुद सत्ता में आकर दोनों ही मुद्दों में घिरते हुए दिखाई दे रहे हैं। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा पैट्रोल और डीजल कीमतों को लेकर हल्ला हो रहा है। अब खबर यह आई है कि रोटी भी महंगी होने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो देश की जनता पर यह अब तक की सबसे बड़ी मार होगी।

गेहूं पर आयात शुल्क लगने से देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में वीरवार को कीमतों में तेजी दर्ज की गई। जिन्स कारोबारियों ने बताया कि दक्षिण भारत से मांग बढ़ने पर आगे बाजार और गर्म रह सकता है। हालांकि उपभोक्ताओं की चिंता है कि देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद रोटी सस्ती नहीं मिलेगी। दिल्ली के लॉरैंस रोड स्थित अनाज मंडी में भी गेहूं का भाव वीरवार को 1760 रुपए से बढ़कर 1775 रुपए प्रति क्विंटल हो गया।

यू.पी.-एम.पी. में बढ़ी कीमतें
उत्तर प्रदेश (यू.पी.) की शाहजहांपुर अनाज मंडी में मिल क्वालिटी का गेहूं (सामान्य क्वालिटी) 1605 रुपए प्रति क्विंटल हो गया और बेहतर क्वालिटी का गेहूं 1640 रुपए प्रति क्विंटल था। 2 दिनों में 35 रुपए की तेजी आई है। राजस्थान में भी गेहूं की कीमतों में 30-40 रुपए की तेजी दर्ज की गई। सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश (एम.पी.) में गेहूं की विभिन्न क्वालिटी के भाव में 50-100 रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आई।

इन राज्यों में पैदा होता है गेहूं
दरअसल गेहूं की पैदावार पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ज्यादा होती है जहां से अन्य राज्यों में गेहूं की आपूर्ति की जाती है। दक्षिण भारत खासतौर से बंदरगाह वाले शहरों में इन राज्यों से गेहूं मंगाने के मुकाबले आयात करना सस्ता होता है। इसकी एक वजह यह भी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले गेहूं सस्ता है। पिछले साल भी देश में बम्पर उत्पादन होने पर भी करीब 17 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था।

क्या कहता है एफ.सी.आई. 
भारतीय खाद्य निगम (एफ.सी.आई.) की वैबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 2017-18 में ओपन मार्कीट सेल्स स्कीम (ओ.एम.एस.एस.) के तहत घरेलू बाजार में 14.21 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई और 1 अप्रैल, 2018 को केन्द्रीय पूल में गेहूं का बचा हुआ स्टॉक 132.31 लाख टन रह गया था। एफ.सी.आई. के एक वरिष्ठ अधिकारी की मानें तो सरकार के पास इस साल गेहूं का रिकॉर्ड स्टॉक है क्योंकि खरीद भी लक्ष्य से काफी ज्यादा हो चुकी है। केन्द्र व राज्य सरकारों की एजैंसियों ने चालू रबी विपणन वर्ष 2018-19 में देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों में अब तक 337.39 लाख टन गेहूं खरीद लिया है। गेहूं की सबसे ज्यादा खरीद 380 लाख टन 2012 में हुई थी। 

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