सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, दिवालिया कार्यवाही के बीच दूरसंचार कंपनियों से बकाया कैसे वसूल होगा

Edited By rajesh kumar,Updated: 11 Aug, 2020 10:40 AM

recover dues from telecom companies amid insolvency proceedings

उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग से जानना चाहा कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रहीं दूरसंचार कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि की वसूली कैसे करेगी? क्या इन कंपनियों के स्पेक्ट्रम बेचे जा सकते हैं?

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग से जानना चाहा कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रहीं दूरसंचार कंपनियों से समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) से संबंधित बकाया राशि की वसूली कैसे करेगी? क्या इन कंपनियों के स्पेक्ट्रम बेचे जा सकते हैं? न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ को दूरसंचाार विभाग ने कहा कि उसका यह मानना है कि दिवालिया कार्यवाही का सामना कर रही दूरसंचार कंपनियां स्पेक्ट्रम नहीं बेच सकती क्योंकि यह उनकी संपत्ति नहीं है।

जनता का पैसा है
पीठ ने दूरसंचार विभाग की ओर से खड़े सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि उसे बताया जाये कि इन कंपनियों से एजीआर से संबंधित बकाया राशि को वसूलने की उसकी क्या योजना है। पीठ ने मेहता से कहा  कृपया हमें बतायें कि यदि आरकाम, एयरसेल और वीडियोकान जैसी कंपनियां दिवालिया हो जाती हैं तो दूरसंचार विभाग के एजीआर से संबंधित बकाया राशि का क्या होगा। हमें बतायें कि आप आरकाम से 31,000 करोड़ रूपए और एयरसेल से 12,000 करोड़ कैसे वसूलेंगगे। आपको कुछ करना होगा। यह जनता का पैसा है। पीठ ने कहा कि अदालत को दिवाला और शोधन क्षमता संहिता के तहत दिवालिया कार्यवाही के लिये गयी दूसंचार कंपनियों की वास्तविकता का पता लगाने की आवश्यकता है।

अपील दायर करने में विलंब क्यों ?
मेहता ने कहा कि वह इस संबंध में हलफनामा दाखिल करेंगे। उन्होंने कहा कि इन कंपनियां पर दिवाला संहिता के तहत कार्यवाही चल रही है और विभिन्न चरणों में हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपीली अधिकरण के आदेश के खिलाफ उनकी अपील शीर्ष अदालत में लंबित हैं। इनमें सवाल है कि क्या इन कंपनियों को आंबटित स्पेक्ट्रम बेचा जा सकता है या नही। पीठ ने मेहता से जानना चाहा कि एनसीएलएटी ने स्पेक्ट्रम की बिक्री के बारे में उनकी याचिकायें खारिज क्यों कर दी, इस पर मेहता ने कहा कि आदेश के खिलाफ अपील दायर करने में विलंब के आधार पर। पीठ ने जानना चाहा कि अपील दायर करने में विलंब क्यों हुआ? अगर इस दौरान कपनियों ने स्पेक्ट्रम बेच दिया तो क्या होगा? पीठ ने कहा कि न्यायालय इन दूरसंचार कंपनियों के दिवालिया प्रक्रिया के लिये जाने की वजह जानना चाहता है और इन कंपनियों की देनदारियों के बारे में भी जानना चाहता है। दिवाला प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की जल्दी क्या थी।

पीठ ने कहा कि वह यह भी जानना चाहती है कि स्वीडन की दूरसंचार उपकरण बनाने वाली कंपनी एरिक्सन की बकाया राशि का भुगतान करने के बावजूद आरकाम के खिलाफ दिवाला की कार्यवाही कैसे शुरू हुयी।आरकाम के लिये नियुक्त रिजोल्यूशन प्रोफेशनल की ओर से उपस्थित वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने सारा घटनाक्रम पीठ को बताया। इस पर पीठ ने कहा कि उसका आदेश सभी अदालतों और अधिकरणों के लिये बाध्यकारी है। एरिक्सन को भुगतान किये जाने के बावजूद एनसीएलएटी दिवालिया कार्यवाही फिर से कैसे शुरू कर सकता है? पीठ ने इन कंपिनयों को सारे विवरण के साथ इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर हलफनामे दाखिल करने का निदेश दिया।

 

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