Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 May, 2020 04:01 PM
विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर विभिन्न हलकों से चिंता जताई जा रही है। नीति आयोग ने इस बारे में चीजों को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा है कि सरकार श्रमिकों के हितों का
नई दिल्लीः विभिन्न राज्यों द्वारा श्रम कानूनों में बदलाव को लेकर विभिन्न हलकों से चिंता जताई जा रही है। नीति आयोग ने इस बारे में चीजों को स्पष्ट करने का प्रयास करते हुए कहा है कि सरकार श्रमिकों के हितों का संरक्षण करने को प्रतिबद्ध है। नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि सुधारों का मतबल श्रम कानूनों को पूरी तरह समाप्त करना नहीं है।
हाल के सप्ताहों में उत्तर प्रदेश और गुजरात सहित विभिन्न राज्य सरकारों ने मौजूदा श्रम कानूनों में या तो संशोधन किया है या संशोधन का प्रस्ताव किया है। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू प्रतिबंधों की वजह से उद्योग जगत बुरी तरह प्रभावित हुआ है। उद्योग और कंपनियों को राहत के लिए राज्य सरकारों द्वारा यह कदम उठाया गया है।
कुमार ने कहा, ‘‘मेरा संज्ञान में अभी आया है कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने अपने रुख को सख्त करते हुए राज्यों को स्पष्ट किया है कि वे श्रम कानूनों को समाप्त नहीं कर सकते हैं, क्योंकि भारत अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) में हस्ताक्षर करने वाले देशों में है।'' उन्होंने कहा कि ऐसे में स्पष्ट है कि केंद्र सरकार का मानना है कि श्रम कानूनों में सुधार से मतलब श्रम कानूनों को समाप्त करने से नहीं है।
सरकार श्रमिकों के हितों का संरक्षण करने को प्रतिबद्ध है। उनसे पूछा गया था कि क्या उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों द्वारा श्रम सुधार श्रमिकों के लिए किसी तरह का सुरक्षा जाल बनाए बिना किए जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल में एक अध्यादेश के जरिए विभिन्न उद्योगों को तीन साल तक कुछ निश्चित श्रम कानूनों से छूट दी है। कोरोना वायरस की वजह से प्रभावित आर्थिक गतिविधियों को रफ्तार देने के लिए सरकार ने यह कदम उठाया है।
मध्य प्रदेश सरकार ने भी राष्ट्रव्यापी बंद के बीच आर्थिक गतिविधियों को प्रोत्साहन के लिए कुछ श्रम कानूनों में बदलाव किया है। कुछ और राज्य भी इसी तरह का कदम उठाने जा रहे हैं। देश की वृहद आर्थिक स्थिति पर नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि शेष दुनिया की तरह भारत भी कोविड-19 के प्रतिकूल प्रभाव से जूझ रहा है। इस महामारी की वजह से चालू वित्त वर्ष के पहले दो माह के दौरान आर्थिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। रिजर्व बैंक ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर नकारात्मक रहेगी। इस पर कुमार ने कहा कि नकारात्मक वृद्धि का अभी पूरी तरह अनुमान नहीं लगाया जा सकता।