Edited By Supreet Kaur,Updated: 22 Aug, 2018 12:37 PM
कंपनी पंजीयक के पास पंजीकृत 14 लाख कंपनियों में से करीब 40 फीसदी फर्में अपना सांविधिक रिटर्न दाखिल नहीं करती हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। इसका मतलब यह हुआ कि रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली करीब 5.60 लाख कंपनियां मंत्रालय...
नई दिल्लीः कंपनी पंजीयक के पास पंजीकृत 14 लाख कंपनियों में से करीब 40 फीसदी फर्में अपना सांविधिक रिटर्न दाखिल नहीं करती हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय के सूत्रों ने यह जानकारी दी। इसका मतलब यह हुआ कि रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली करीब 5.60 लाख कंपनियां मंत्रालय की जांच के दायरे में हैं। वित्त वर्ष 2017-18 में कंपनी पंजीयक सांविधिक रिटर्न जैसे वित्तीय विवरण और सालाना रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली करीब 2.26 लाख कंपनियों का पंजीकरण पहले ही रद्द कर चुका है। इस बार कंपनी मामलों का मंत्रालय 2013-24 से 2015-16 तक सांविधिक रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली फर्मों का पंजीकरण रद्द करने पर विचार कर रहा है।
मंत्रालय ने पाया है कि पंजीकरण रद्द करने के बाद भी इन कंपनियों के निदेशकों ने कार्यालय खाली नहीं किया है। कंपनी कानून की धारा 167(1) के अनुसार ऐसे निदेशकों के लिए कार्यालय छोडऩा अनिवार्य है। इन निदेशकों ने अपात्र ठहराए जाने के कंपनी मामलों के मंत्रालयके निर्णय के बारे में भी नहीं बताया है। मुखौटा कंपनियों के लिए गठित कार्यबल ने इन कंपनियों का पंजीकरण रद्द करने की सिफारिश की थी। कार्यबल का गठन फरवरी 2017 में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा राजस्व सचिव और कंपनी मामलों के मंत्रालय के सचिव की संयुक्क्त अध्यक्षता में किया गया था। कार्यबल गठित करने का मकसद विभिन्न एजेंसियों के साथ सामंजस्य बिठाकर कंपनियों द्वारा अवैध गतिविधियों और कर चोरी की जांच करना था।
वित्तीय सेवा विभाग, तत्कालीन केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय, भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के सदस्य भी कार्यबल में शामिल थे। पंजीकरण रद्द करने के आधार पर मुखौटा कंपनियों के आंकड़ों का संकलन गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय ने किया था। इस आंकड़े में तीन सूची है - पुष्ट सूची, व्युत्पन्न सूची और संदिग्ध सूची। पुष्टï सूची में विभिन्न प्रवर्तन एजेंसियों से प्राप्त जानकारियों के आधार पर कुल 16,537 मुखौटा कंपनियां शामिल थीं, जिन्हें अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था। व्युत्पन्न सूची में 16,739 कंपनियों को 100 फीसदी समान निदेशकों के आधार पर चिह्निïत किया गया था। इसके बाद 80,670 संदिग्ध मुखौटा कंपनियों की एक सूची थी जिसे गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय ने कुछ संकेतों के आधार पर तैैयार किया था। 2018-19 में कार्यबल ने कुल 225,910 कंपनियों को मुखौटा कंपनी के तौरपर चिह्निïत किया है। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि ऐसी कंपनियों की संख्या आगे और बढ़ सकती है।