चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया ब्याज माफ करने के निर्णय को खारिज किया

Edited By ,Updated: 10 Mar, 2017 12:54 PM

rejected the decision to waive outstanding interest of sugarcane farmers

उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्तूबर के मंत्रिमंडल...

इलाहाबाद: उत्तर प्रदेश सरकार को झटका देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले साल अक्तूबर के मंत्रिमंडल के उस निर्णय को खारिज कर दिया जिसमें चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों को देय 2000 करोड़ रुपए का ब्याज माफ कर दिया गया था।   न्यायमूर्ति वीके शुक्ला और न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी की खंडपीठ ने राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वीएम सिंह के जरिए दायर एक याचिका पर यह आदेश पारित किया।

राज्य मंत्रिमंडल ने 3 अक्तूबर, 2016 को जारी एक आदेश में वर्ष 2012-14 की अवधि के लिए गन्ना किसानों को भुगतान में विलंब के चलते चीनी मिल मालिकों पर बकाया ब्याज माफ कर दिया था। राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार ने कहा था कि यह निर्णय इस तथ्य को ध्यान में रखकर किया गया कि चीनी उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है और वित्तीय संकट की वजह से मिलें बंद न हों, यह सुनिश्चित करना आवश्यक है क्योंकि मिलें बंद होने से अंतत: किसान प्रभावित होंगे।

हालांकि, गन्ना किसानों ने राज्य सरकार के इस निर्णय का जोरदार विरोध किया था और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी एवं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत जैसे नेताओं ने भी इस निर्णय की आलोचना की थी। अदालत ने राज्य मंत्रिमंडल द्वारा पारित इस आदेश को खारिज करते हुए यह स्पष्ट किया कि यद्यपि इस सरकार के पास ब्याज माफी का अधिकार है, मौजूदा मामले में यह निर्णय प्रक्रिया उचित नहीं थी। 

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