बढ़ रही है अनिल अंबानी की मुश्किल, बिक सकती हैं रिलायंस कैपिटल की दो कंपनियां

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Apr, 2019 11:32 AM

reliance capital s two companies can be sold by anil ambani

रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शल फाइनैंस लिमिटेड (RCFL) को क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ये दोनों कंपनियां नई इक्विटी बेचकर फंड जुटाने की कोशिश करेंगी।

मुंबईः रिलायंस होम फाइनैंस लिमिटेड (RHFL) और रिलायंस कमर्शल फाइनैंस लिमिटेड (RCFL) को क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड होने से मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। ये दोनों कंपनियां नई इक्विटी बेचकर फंड जुटाने की कोशिश करेंगी। इनकी होल्डिंग कंपनी रिलायंस कैपिटल सही प्राइस पर नए निवेशकों को मालिकाना हक देने के लिए तैयार है। 

अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस कैपिटल के सीईओ अमित बाफना ने बताया, 'हम देश-विदेश के निवेशकों के साथ बातचीत कर रहे हैं और हमें एक-दो महीने में इक्विटी कैपिटल मिलने की उम्मीद है। कैपिटल मिलने से भविष्य में ग्रोथ हासिल करने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही क्रेडिट रेटिंग फर्मों का भरोसा भी बढ़ेगा।' 

इस डिवेलपमेंट की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने बताया कि आरएचएफएल और आरसीएफएल 3,000 करोड़ रुपए तक जुटाने की कोशिश कर सकती हैं। वैल्यूएशन के आधार पर यह रकम अधिक भी हो सकती है। रिलायंस कैपिटल के पास RCFL में 100% और RHFL में 50% हिस्सेदारी है। नए इन्वेस्टर्स को शेयर्स बेचने से यह हिस्सेदारी घटकर आधी या इससे कम हो सकती है। 

बाफना ने कहा, 'यह हमें प्राप्त होने वाले वैल्यूएशन पर निर्भर करेगा।' RHFL की लोन बुक 17 हजार करोड़ रुपए से अधिक और RCFL की लगभग 16 हजार करोड़ रुपए की है। RHFL और RCFL की रेटिंग डाउनग्रेड होने से डेट मार्केट में बॉरोइंग कॉस्ट बढ़ सकती है क्योंकि म्यूचुअल फंड जैसे प्रमुख इन्वेस्टर्स नए इन्वेस्टमेंट को रोक सकते हैं। 

पिछले वर्ष सितंबर में इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग ऐंड फाइनैंशल सर्विसेज (IL&FS) के डिफॉल्ट के बाद से मार्केट में डर का माहौल है। इस डिफॉल्ट से नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियों (NBFC) के लिए लिक्विडिटी की कमी हो गई थी। एक रेटिंग ऐनालिस्ट ने कहा कि नए शेयर्स इशू कर पूंजी जुटाने से इन कंपनियों को संकट से निपटने में मदद मिलेगी। 

दिसंबर तिमाही में RHFL का नेट प्रॉफिट 37.5% बढ़कर लगभग 55 करोड़ रुपए रहा था। दोनों कंपनियां शॉर्ट-टर्म में अपनी देनदारियों को पूरा करने के लिए रिटेल लोन पोर्टफोलियो बेचना जारी रखेंगी। पिछले छह महीनों में इन दोनों कंपनियों ने लगभग 8 हजार करोड़ रुपए के अच्छी क्वॉलिटी वाले लोन पोर्टफोलियो बेचे हैं। 

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