Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Aug, 2018 11:35 AM
वर्ष 1993 के बाद दो दशक तक भारत में वेतन और असमानता की समस्या बनी हुई है। स्त्री-पुरुष, नियमित-अनियमित और शहरी-ग्रामीण सभी मामलों में असमानता बरकरार है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार ग्रामीण इलाकों में अनियमित वर्कर के तौर पर...
बिजनेस डेस्कः वर्ष 1993 के बाद दो दशक तक भारत में वेतन और असमानता की समस्या बनी हुई है। स्त्री-पुरुष, नियमित-अनियमित और शहरी-ग्रामीण सभी मामलों में असमानता बरकरार है। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के अनुसार ग्रामीण इलाकों में अनियमित वर्कर के तौर पर काम करने वाली महिलाओं का वेतन देश में सबसे कम 104 रुपए रोजाना है। उन्हें शहरों में संगठित क्षेत्र के पुरुषों की तुलना में सिर्फ 22 फीसदी वेतन मिलता है।
असंगठित क्षेत्र में वेतन सबसे कम
1993-94 में स्त्री-पुरुष के वेतन का अंतर 48 फीसदी था। यह 2011-12 में घटने के बावजूद 34 फीसदी था। सोमवार को जारी इंडिया वेज रिपोर्ट के अनुसार संगठित क्षेत्र में औसत दैनिक वेतन 513 रुपए है। असंगठित क्षेत्र में यह सिर्फ 166 रुपए यानी संगठित क्षेत्र का 32 फीसदी है।
2011-12 में औसत दैनिक वेतन
श्रेणी |
औसत दैनिक वेतन (रुपए) |
सभी कैटेग्री |
247 |
ग्रामीण |
175 |
शहरी |
384 |
नियमित |
396 |
अनियमित |
143 |
सख्ती से वेतन कानून लागू करने की सलाह
1993-94 में 29.8 फीसदी नियमित और 70.2 फीसदी अनियमित वेतनभोगी थे। 2011-12 में नियमित 37.9 फीसदी और अनियमित 62.1 फीसदी हो गए। राष्ट्रीय आय में श्रमिकों के वेतन की हिस्सेदारी कम हुई है। यह 1981 में 38.5 फीसदी थी, जो 2013 में घटकर 35.4 फीसदी रह गई। आईएलओ ने सभी कर्मचारियों को लीगल कवरेज देने, न्यूनतम वेतन का ढांचा आसान बनाने और प्रभावी कदम उठाने की बात कही है।