मौद्रिक नीति रूपरेखा की समीक्षा कर रहा रिजर्व बैंक: गवर्नर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Feb, 2020 01:35 PM

reserve bank reviewing monetary policy framework governor

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति निर्णय में खुदरा मुद्रास्फीति के लक्ष्य की रूपरेखा के साथ उसकी प्रभावित की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार समेत संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श की योजना...

नई दिल्लीः रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि केंद्रीय बैंक मौद्रिक नीति निर्णय में खुदरा मुद्रास्फीति के लक्ष्य की रूपरेखा के साथ उसकी प्रभावित की समीक्षा कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बारे में सरकार समेत संबंधित पक्षों से विचार-विमर्श की योजना है। सरकार ने मुद्रास्फीति को निश्चित सीमा के दायरे में रखने के प्रयास के तहत 2016 में आरबीआई गवर्नर की अध्यक्षता में मौद्रिक नीति समिति गठित करने का फैसला किया। समिति को नीतिगत दर (रेपो दर) निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। 

छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति को 2 प्रतिशत घट-बढ़ के साथ महंगाई दर को 4 प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई। दास ने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति रूरपेखा साढे तीन साल से काम कर रहा है। हमने आंतरिक समीक्षा की प्रक्रिया शुरू की है कि आखिर मौद्रिक नीति रूपरेखा ने किस तरीके से काम किया।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने आंतरिक रूप से मौद्रिक नीति रूपरेखा के प्रभाव की समीक्षा शुरू की है। चालू वर्ष के मध्य में जून के आसपास हम सभी विश्लेषकों और विशेषज्ञों तथा संबद्ध पक्षों के साथ बैठक करेंगे। इस बारे में सरकार की भी सलाह ली जाएगी।’’ 

दास ने कहा कि निश्चित रूप से आरबीआई को सरकार से बातचीत करनी है क्योंकि रूपरेखा कानून का हिस्सा है। मौद्रिक नीति का लाभ ग्राहकों को मिलने के संदर्भ में गवर्नर ने कहा कि इसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा है तथा आने वाले समय में यह और बेहतर होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मौद्रिक नीति में कटौती का लाभ ग्राहकों को देने में सुधार आया है। दिसंबर एमपीसी में नए कर्ज में 0.49 प्रतिशत का लाभ ग्राहकों को दिया गया जबकि फरवरी में यह बढ़कर 0.69 प्रतिशत हो गया है। यानी इसमें सुधार आया है।’’ 

केंद्रीय बैंक ने छह फरवरी को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने लगातार दूसरी बार नीतिगत दर रेपो को 5.15 प्रतिशत पर बरकरार रखा। हालांकि उसने नरम रुख को बनाए रखा है। दिसंबर में नीतिगत दर को यथावत रखने से पहले लगातार पांच बार नीतिगत दर में कटौती की गई। कुल मिलाकर इसमें 1.35 प्रतिशत की कटौती की गई। आरबीआई के वित्तीय लेखा वर्ष को केंद्र सरकार के अनुरूप किए जाने के बारे में दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष जून में समाप्त होगा जबकि अगला वित्त वर्ष जुलाई में शुरू होगा और 31 मार्च को समाप्त होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मौजूदा वर्ष जून तक होगा। अगला लेखा वर्ष एक जुलाई को शुरू होगा और 31 मार्च को समाप्त होगा। अत: 12 महीने का समय होगा।’’ 

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक पास नौ महीने (जुलाई 2020 से मार्च 2021) की अवधि के लिए बही-खाता तैयार करने की जिम्मेदारी होगी। आरबीआई का पूर्ण वित्त वर्ष एक अप्रैल 2021 से शुरू होगा। इस कदम के साथ आरबीआई करीब आठ दशक से चले आ रहे लेखा वर्ष को समाप्त करेगा। अप्रैल 1935 में गठित आरबीआई शुरू में जनवरी-दिसंबर को लेखा वर्ष मानता था लेकिन मार्च 1940 में दसे बदलकर जुलाई-जून कर दिया गया।आर्थिक पूंजी रूपरेखा पर गठित विमल जालान समिति ने आरबीआई लेखा वर्ष को 2020-21 अप्रैल-मार्च करने का सुझाव दिया था।

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