तेल की कीमतों पर कुछ समय के लिए लगी लगाम, नहीं बढ़ेंगे दाम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Mar, 2021 01:15 PM

restriction on oil prices for some time prices will not increase

पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान और अगले साल यूपी समेत महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव को देखते हुए सरकार ने तेल के दामों में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। बिजनेस स्टैडर्ट के मुताबिक तेल के क्षेत्र के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के...

बिजनेस डेस्कः पांच राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान और अगले साल यूपी समेत महत्वपूर्ण राज्यों में चुनाव को देखते हुए सरकार ने तेल के दामों में बढ़ोतरी नहीं करने का फैसला किया है। बिजनेस स्टैडर्ट के मुताबिक तेल के क्षेत्र के विशेषज्ञों और सरकारी अधिकारियों के अनुसार तेल कंपनियां निकट भविष्य में कीमतें और नहीं बढ़ाएंगी। हाल ही के महीनों में तेल के दामों में कई बार इजाफा हुआ है जिससे तेल की कीमत 100 रुपए तक पहुंच गई थी। जनता में पल रहे आक्रोश और चुनावों के मद्देनजर सरकार भी इससे चिंतित है और इसका पड़ने वाले दूरगामी असर को देखते हुए ही यह फैसला किया गया है। गौरतलब है कि पिछले साल बिहार चुनाव के समय भी तेल के दाम नहीं बढ़े थे।

सरकार पर दबाव
राजस्थान के गंगानगर में पिछले महीने तेल की कीमत 100 रुपए तक पहुंच गई थी। इससे सरकार की काफी किरकिरी हुई थी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी स्वीकार किया था कि तेल की कीमत बढ़ना हमारे लिए धर्मसंकट है। इससे बीजेपी को पेट्रोल एवं डीजल की रिकॉर्ड कीमतों को लेकर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ोतरी के साथ ही एलपीजी (रसोई गैस) के दाम भी 1 फरवरी से करीब 125 रुपए प्रति सिलेंडर बढ़ चुके हैं। सरकार से जुड़े दो लोगों ने कहा कि केंद्र ने अनौपचारिक तौर पर तीनों तेल कंपनियों को फिलहाल दाम नहीं बढ़ाने के लिए कहा है।

जीएसटी के दायरे में आएंगे पेट्रोलियम पदार्थ
बढ़ते महंगाई के बीच अंदरुनी हल्कों में पेट्रोलियम पदार्थों को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार किया जा रहा है। केंद्र और राज्यों के बीच ईंधन पर टैक्स की कटौती और इसे वस्तु एवं सेवा कर के दायरे में लाने की चर्चा के बाद इस बारे में औपचारिक निर्देश दिया जा सकता है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'कुछ राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीजल पर कर में कटौती की है लेकिन खुदरा कीमतों पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। पेट्रोल-डीजल के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने के पीछे इस पर लगने वाले कर का भी अहम योगदान है। यही वजह है कि इस पर कर घटाने की मांग की जा रही है।

कई राज्यों ने टैक्स में कटौती की
उदाहरण के लिए पश्चिम बंगाल ने पेट्रोल और डीजल पर 1 रुपए प्रति लीटर कर की कटौती की है। राजस्थान ने सबसे पहले 29 जनवरी को पेट्रोल-डीजल पर मूल्यवर्धित कर को 38 फीसदी से घटाकर 36 फीसदी कर दिया था। चुनावी राज्य असम ने पिछले साल कोरोनावायरस से लड़ने के लिए कोष जुटाने की खातिर अतिरिक्त 5 रुपए प्रति लीटर का कर लगाया था जिसे वापस ले लिया गया है। मेघालय ने पेट्रोल पर 7.4 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 7.1 रुपए प्रति लीटर कर कटौती की है।

कंपनियों को राहत दे सकती है सरकार
अगर सरकार की बात को तेल कंपनियां मान लेती है तो उनके मुनाफा मार्जिन में कमी आ सकती है। इससे तेल तेल कंपनियों की चिंता बढ़ सकती है। हालांकि वित्त मंत्रालय ने कुछ रियायत के साथ दाम नहीं बढ़ाने को कहा है। इसके तहत तेल कंपनियों को रुपए में स्थिरता की सुविधा या मार्केटिंग मार्जिन में राहत दी जा सकती है। कैपिटलवाया ग्लोबल रिसर्च में लीड विश्लेषक क्षितिज पुरोहित ने कहा कि चुनावों को देखते हुए दो महीने तक ईंधन की खुदरा कीमतों में बढ़ोतरी नहीं करने से तेल कंपनियों के मुनाफा मार्जिन में 100 आधार अंक की कमी आएगी। हालांकि मार्जिन में इस कमी को वहन करने में तेल कंपनियां सक्षम होंगी क्योंकि भारत पेट्रोलियम को परिचालन मार्जिन 1.5 फीसदी से बढ़कर 5.97 फीसदी, हिंदुस्तान पेट्रोलियम का मार्जिन 0.68 फीसदी से बढ़कर 4.47 फीसदी और इंडियन ऑयल का मार्जिन 1.35 फीसदी से बढ़कर 5.58 फीसदी हो गया है।
 

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