धुली एवं कटी हुई प्लास्टिक बोतलों के कचरे के आयात पर रोक

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Oct, 2019 03:23 PM

restriction on the import of wastes of washed and cut plastic bottles

सरकार ने प्लास्टिक कचरे के बोझ को कम करने के उद्देश्य से धूली तथा कटी हुई प्लास्टिक बोतलों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। गैर सरकारी संगठन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच (पीडीयूएसएम) ने शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि वन, पर्यावरण एवं...

नई दिल्लीः सरकार ने प्लास्टिक कचरे के बोझ को कम करने के उद्देश्य से धूली तथा कटी हुई प्लास्टिक बोतलों के आयात को प्रतिबंधित कर दिया है। गैर सरकारी संगठन पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति मंच (पीडीयूएसएम) ने शुक्रवार को यहां जारी एक बयान में कहा कि वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने उसके द्वारा दी गई प्रस्तुति के आधार पर यह प्रतिबंध लगाया है। 

भारतीय रिसाइकिल कंपनियां और कपड़ा उद्योग अवैध रूप से प्लास्टिक बोतलों के कचरे को फ्लैक्स के रूप में पाकिस्तान, बंगलादेश एवं अन्य देशों से आयात कर रहे थे क्योंकि यह रीसाइक्लिंग के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित प्लास्टिक कचरे को इकट्ठा करने की तुलना में सस्ता होता था। मंत्रालय के खतरनाक पदार्थ प्रबंधन विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। 

पीडीयूएसएम के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरा देश प्लास्टिक कचरे के संग्रह और पुनर्चक्रण सिस्टम को मजबूत बनाने के तरीकों की तलाश में है। लेकिन रीसाइक्लिंग और कपड़ा उद्योग अपने लाभ के लिए अन्य देशों से प्लास्टिक कचरे का आयात कर रहे थे। आयात तंत्र में एक छोटी खामी के चलते भारतीय कंपनियां पेट बोतलों के कचरे को आयात एवं रीसाइक्लिंग करके विभिन्न उत्पादों के निर्माण में उपयोग करते थे। वे इन पेट बोतलों को रीसाइकिल करके पॉलिएस्टर कारपेट, टी-शटर्, एथलेटिक जूते, सामान, औद्योगिक स्ट्रैपिंग, ऑटोमोटिव पार्ट, सामान की रैक, फ्यूज बॉक्स, बंपर और डोर पैनल आदि का निर्माण कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि उनका संगठन इन उद्योगों के खिलाफ नहीं हैं लेकिन हम चाहते हैं कि वे उत्पादों के विनिर्माण में स्थानीय स्तर पर उत्पादित प्लास्टिक कचरे का उपयोग करें, जिससे उनका व्यापार सुचारू रहे और वे देश को प्लास्टिक कचरा मुक्त बनाने में भी मदद कर सकें। शुक्ला ने कहा कि प्लास्टिक कचरे के संग्रह, पृथक्करण और पुनर्चक्रण के लिए बड़ी संख्या में मानव शक्ति की जरूरत है, जो अपशिष्ट प्रबंधन और रीसाइक्लिंग उद्योग में भारत भर में लाखों नए रोजगार के अवसर पैदा करने में मदद करेगा। 

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