Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2020 04:28 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही तक तय लक्ष्य के आसपास रहने की उम्मीद है। हालांकि, सितंबर तिमाही के अंत तक इसके खुदरा मुद्रास्फीति के लिए तय 6 प्रतिशत की...
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति के चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही तक तय लक्ष्य के आसपास रहने की उम्मीद है। हालांकि, सितंबर तिमाही के अंत तक इसके खुदरा मुद्रास्फीति के लिए तय 6 प्रतिशत की ऊपरी सीमा से ऊपर 6.8 प्रतिशत तक रहने का अनुमान है। दास ने केंद्रीय बैंक की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के परिणाम की घोषणा करते हुए कहा कि आरबीआई की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है।
समिति ने जब तक आवश्यक हो - कम से कम चालू वित्त वर्ष के और अगले वर्ष के दौरान- मौद्रिक नीति के उदार रुख को भी बनाए रखने का निर्णय लिया, ताकि आने वाले समय में मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखना सुनिश्चित करते हुए कोविड-19 के प्रतिकूल असर को दूर करते हुए आर्थिक वृद्धि में टिकाऊ आधार पर सुधार लाया जा सके। सरकार की तरफ से मौद्रिक नीति समिति को खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में रखने का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें दो प्रतिशत घट-बढ़ की गुंजाइश है।
रिजर्व बैंक ने नीतिगत बयान में कहा कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति के 2020-21 की दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके बाद मुद्रास्फीति के तीसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत तक और चौथी तिमाही में 4.5 प्रतिशत पर आ जाने का अनुमान है। बयान में कहा गया, ‘‘कोविड-19 का टीका उपलब्ध हो जाने के साथ 2021-22 में आपूर्ति श्रृंखला में सामान्य स्थिति लौट जाने, मानसून सामान्य रहने और किसी बाह्यजनित या नीतिगत झटके नहीं आने की उम्मीद के आधार पर संरचनात्मक मॉडल के अनुमान से संकेत मिलता है कि मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत से 4.4 प्रतिशत के दायरे में रह सकती है।'' दास ने अपने बयान में कहा कि इस आशावाद की कुछ झलक लोगों की अपेक्षाओं में दिख रही है। आरबीआई के सितंबर 2020 सर्वेक्षण के अनुसार, परिवारों को उम्मीद है कि अगले तीन महीनों में मुद्रास्फीति में कुछ गिरावट आएगी। यह इस उम्मीद का संकेत है कि आपूर्ति श्रृंखला में सुधार हो रहा है।