Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Feb, 2019 06:05 PM
राजस्व विभाग फर्जी ई-वे बिलों की समस्या से निपटने को कर अधिकारियों की समिति गठित करने की तैयारी कर रहा है। यह समिति इस तरह के नकली बिल से निपटने के उपाय सुझाएगी।
नई दिल्लीः राजस्व विभाग फर्जी ई-वे बिलों की समस्या से निपटने को कर अधिकारियों की समिति गठित करने की तैयारी कर रहा है। यह समिति इस तरह के नकली बिल से निपटने के उपाय सुझाएगी। पिछले साल अप्रैल से केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के समक्ष बोगस इलेक्ट्रोनिक मार्ग चालान (ई-वे बिल) और जाली बीजक के कई मामले सामने आए हैं।
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘अप्रैल से बोगस ई-वे बिल और जाली बीजक के कई मामले सामने आए हैं। इसमें कुल मिलाकर 5,000 करोड़ रुपए की कर चोरी का पता चला है।’’ एक अप्रैल, 2018 से 50,000 रुपए या उसके अधिक के सामान को एक राज्य से दूसरे राज्य भेजने के लिए ई-वे बिल प्रणाली शुरू की गई थी। एक राज्य के अंदर ही सामान भेजने के लिए ई-वे बिल प्रणाली 15 अप्रैल से चरणबद्ध तरीके से लागू की गई। पचास हजार रुपए से अधिक का सामान भेजने वाले व्यक्ति को जीएसटी निरीक्षक को ई-वे बिल दिखाना होता है।
अधिकारी ने कहा कि केंद्र और राज्यों के अधिकारियों की एक समिति बनाई जाएगी जो जाली ई वे बिल बनाने के तरीके का विश्लेषण करेगी और इसे रोकने के उपाय सुझाएगी। इसके अलावा राजस्व विभाग अप्रैल से ई-वे बिल प्रणाली को भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के फास्टैग प्रणाली से भी जोड़ने की तैयारी कर रहा है। इससे माल की आवाजाही पर नजर रखने में और ज्यादा मदद मिलेगी।