Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 12:43 PM
याज एक बार फिर आम लोगों को रुलाने लगा है। केंद्र सरकार द्वारा मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी) हटाने के बाद देश के कई हिस्सों में इसकी कीमतों में 50 फीसदी तक की तेजी देखी जा रही है। देश के सबसे बड़े होलसेल मार्कीट लासलगांव में कीमतें 46 फीसदी बढ़...
नई दिल्लीः प्याज एक बार फिर आम लोगों को रुलाने लगा है। केंद्र सरकार द्वारा मिनिमम एक्सपोर्ट प्राइस (एमईपी) हटाने के बाद देश के कई हिस्सों में इसकी कीमतों में 50 फीसदी तक की तेजी देखी जा रही है। देश के सबसे बड़े होलसेल मार्कीट लासलगांव में कीमतें 46 फीसदी बढ़ गई हैं। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने एमईपी हटाने का फैसला किया था। इसका असर सोमवार को दिखा, जब औसत होलसेल प्राइस बढ़कर प्रति क्विंटल 2075 रुपए हो गया।
केंद्र सरकार ने पिछले साल 23 नवंबर को प्रति टन 850 डॉलर की एमईपी लगाई थी. यह फैसला कीमतों में बेतहाशा इजाफा के मद्देनजर लिया गया था. उन दिनों मुंबई और दिल्ली जैसी जगहों पर प्याज की औसत कीमत 70 रुपए प्रति किलो पर पहुंच गई थी। किसानों को उनके पैदा किए प्याज का अच्छा भाव दिलाने के लिए केंद्र ने यह कदम उठाया। इसकी वजह से रिटेल मार्कीट में प्याज की कीमतें फिर से बढ़ने लगी है।
प्याज के भाव को नीचे आते देख 2 फरवरी को केंद्र सरकार ने प्याज के निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त को खत्म कर दिया था। लेकिन सरकार के इस कदम की मार उपभोक्ताओं पर पड़ने लगी है। सरकार के इस कदम के बाद थोक बाजार में प्याज का भाव करीब 46 प्रतिशत तक बढ़ गया है। इस वजह से रिटेल मार्केट में भी इसकी कीमतों में अधिक बढ़ोतरी होने की आशंका बढ़ गई है। सरकार ने इस साल प्याज का उत्पादन भी पिछले साल के मुकाबले कुछ कम रहने का अनुमान लगाया है। इस वजह से आपूर्ति सीमित रह सकती है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक फसल वर्ष 2017-18 के दौरान देश में प्याज का उत्पादन 214 लाख टन होने का अनुमान है. 2016-17 के दौरान देश में 224 लाख टन प्याज पैदा हुआ था।