रमजान के बीच बाजारों से गायब हुआ Rooh Afza, 'हमदर्द' पाकिस्तान ने कहा- 'यहां से भिजवा दें'

Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 May, 2019 04:46 PM

rooh afza disappeared from markets between ramadan

इस्लाम धर्म के पाक महीने ''रमजान'' के दौरान भारतीय बाजारों में रूह अफजा की कमी को लेकर जबसे मीडिया रिपोर्ट सामने आई है, तब से यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे लेकर अब पाकिस्तानी कंपनी हमदर्द ने भारत में रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की है।

नई दिल्लीः इस्लाम धर्म के पाक महीने 'रमजान' के दौरान भारतीय बाजारों में रूह अफजा की कमी को लेकर जबसे मीडिया रिपोर्ट सामने आई है, तब से यह एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इसे लेकर अब पाकिस्तानी कंपनी हमदर्द ने भारत में रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की है। एक भारतीय समाचार साइट के एक लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए, हमदर्द पाकिस्तान के मुख्य कार्यकारी उसामा कुरैशी ने वाघा बॉर्डर के रास्ते से भारत में लोकप्रिय रूह अफजा की आपूर्ति करने की पेशकश की है। बता दें कि खासकर उत्तर भारत में मुसलमानों की रूह अफजा के साथ शाम में उपवास तोड़ना की एक परंपरा रही है।

कुरैशी ने अपने ट्वीटर हैंडल में ट्वीट करते हुए लिखा, 'हम रमजान में भारत को रूह अफजा और रूह अफजा गो मुहैया करा सकते हैं। भारत सरकार इजाजत दे तो हम वाघा बॉर्डर के रास्ते से रूह अफजा और रूह अफजा गो ट्रक भेज सकते हैं।' बता दें कि Rooh Afza भारत में चार से पांच महीनों के लिए बंद कर दिया गया है और ऑनलाइन स्टोर पर भी यह उपलब्ध नहीं है। हालांकि इसे लेकर हमदर्द इंडिया ने कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की है लेकिन कंपनी ने कच्चे माल की कमी को उत्पादन रुकने की वजह बताया।

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भारत 'हमदर्द' और पाकिस्तान 'हमदर्द'
1900 के दशक में यूनानी चिकित्सा व्यवसायी हकीम हाफिज अब्दुल मजीद ने पुरानी दिल्ली के लाल कुआं बाजार में 'हमदर्द' नाम का दवाखाना खोला। 1907-1908 के आसपास, हकीम मजीद ने दिल्ली की गर्म लू की हवाओं से निपटने के लिए 'रूह अफज़ा' नामक पेय की खोज की। देखते ही देखते जो एक दवाखाना शुरू किया गया था वो अब पेय की वजह से पहचाने जाने लगा। 1947 तक, रूह अफजा दिल्ली में और संयुक्त प्रांत में हर किसी रसोई में पाया जाने लगा। जब देश में बंटवारे का माहौल था और इसमें 'हमदर्द' भी बंट गया और अब्दुल के मरने के बाद उनके छोटे बेटे हकीम मोहम्मद सईद ने पाकिस्तान जा कर वहां कराची से हमदर्द की शुरूआत की। भारतीय हमदर्द की तर्ज पर ये कंपनी भी खोली गई और आज पाकिस्तान में जाना पहचाना ब्रांड है। 

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पाकिस्तान को पेशकश करनी पड़ी भारी
जब से भारतीय बाजारों में रूह अफजा की कमी की खबर फैली है, तब से ट्विटर पर एक जंग जैसा माहौल है और जमकर एक दूसरे की खिल्ली उड़ाई जा रही है। बता दें कि पाकिस्तान हमदर्द को जवाब देते हुए एक यूजर ने लिखा, 'पहले आतंकवादियों को भेजना बंद करो, फिर बाद में रूह अफजा भेजना'। वहीं एक यूजर ने लिखा, 'क्या आप साथ में मसूद अजहर को भी भेज सकते हैं? अगर आप ऐसा कर सकते है तो भारत सरकार आपके लिए बार्डर खोल सकती है'। हालांकि कुछ भारतीयों ने पाकिस्तान के इस प्रस्ताव की तारीफ भी की।

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