Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 May, 2019 11:51 AM
कर्ज के बोझ तले दबी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के विमान 17 अप्रैल से परिचालन में नहीं हैं। कंपनी का परिचालन शुरू करने के लिए कर्जदाताओं की कोशिशें अपनी तरफ से जारी हैं और बेरोजगार कर्मचारी भी इसे एक बार फिर से उड़ते देखने के लिए कोई कसर नहीं...
बिजनेस डेस्कः कर्ज के बोझ तले दबी निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज के विमान 17 अप्रैल से परिचालन में नहीं हैं। कंपनी का परिचालन शुरू करने के लिए कर्जदाताओं की कोशिशें अपनी तरफ से जारी हैं और बेरोजगार कर्मचारी भी इसे एक बार फिर से उड़ते देखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे हैं। जेट एयरवेज में नई जान फूंकने के लिए एक नई योजना तैयार की गई है। कंपनी के कुछ नियमित यात्रियों के एक ग्रुप ने ‘रिवाइवल ऑफ जेट एयरवेज’ (रोजा) योजना के तहत कंपनी को वापस रनवे पर लाने के लिए कर्जदाताओं के सामने प्रजेंटेशन दिया है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) और आईसीआईसीआई बैंक समेत कंसोर्टियम के अन्य कर्जदाताओं के समक्ष दिए प्रजेंटेशन में रोजा के तहत नियमित यात्रियों ने विस्तृत कार्य-योजना पेश की है। ग्रुप का दावा है कि उसमें ख्याति प्राप्त पेशेवरों और जेट एयरवेज के आंशिक शेयरधारकों के साथ-साथ कंपनी को कर्ज देने वाले नौ बैंक भी शामिल हैं। शंकरन पी रघुनाथन के नेतृत्व में इस ग्रुप ने जेट एयरवेज के साझेदारों, पायलट, इंजीनियर, कर्मचारी यूनियन और बैंकों के सामने प्रजेंटेशन दिया है।
कर्मचारियों को 1500 करोड़ का लोन दे सकते हैं बैंक
रिपोर्ट के अनुसार, पेशेवरों की प्रजेंटेशन में कहा गया है कि बैंक जेट एयरवेज के कर्मचारियों को 1500 करोड़ रुपए का लोन दे सकते हैं। यह पर्सनल लोन के रूप में प्रत्येक कर्मचारी का छह महीने का वेतन है। कर्मचारी इस पैसे में से एसबीआई से कंपनी में 51 फीसदी हिस्सेदारी और एतिहाद से 12.5 फीसदी हिस्सेदारी खरीदेंगे। इसके बाद बचे हुए 200 करोड़ रुपए कंपनी को नए शेयर जारी करने के लिए दिए जाएंगे। इस तरह से कर्मचारी जेट एयरवेज पर अपना कंट्रोल स्थापित करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले दिनों जेट एयरवेज के कुछ कर्मचारियों ने भी कंपनी के कर्जदाताओं के सामने करीब 7,000 करोड़ रुपए के निवेश से कंपनी का परिचालन अपने हाथों में लेने के लिए बोली लगाने की इजाजत मांगी थी। इस पर कर्जदाताओं के कंसोर्टियम ने कहा था कि वर्तमान योजना के तहत अगर 10 मई तक कंपनी के लिए कोई बड़ा निवेशक सामने नहीं आता, तो कर्मचारियों के कंसोर्टियम की बोली पर विचार किया जाएगा।