तेज हुआ नियुक्तियों का दौर, जून तिमाही में 12.6% बढ़ा वेतन बिल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Sep, 2018 02:26 PM

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करीब 3 साल की मंदी के बाद भारतीय कंपनियों में एक बार फिर नियुक्तियों का दौर तेज हो गया है। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में सूचीबद्घ कंपनियों के वेतन बिल में पिछले साल के मुकाबले 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो करीब 4 साल में सर्वाधिक है।

मुंबईः करीब 3 साल की मंदी के बाद भारतीय कंपनियों में एक बार फिर नियुक्तियों का दौर तेज हो गया है। इस वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में सूचीबद्घ कंपनियों के वेतन बिल में पिछले साल के मुकाबले 12.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जो करीब 4 साल में सर्वाधिक है। इसकी तुलना में पिछले वित्त वर्ष के दौरान कंपनियों का वेतन बिल 8.7 फीसदी और वित्त वर्ष 2017 में 10 फीसदी बढ़ा था। हालांकि कंपनियों की दूसरी लागतों और राजस्व में हुई बढ़ोतरी की तुलना में वेतन बिल में वृद्घि कम है। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में कंपनियों का संयुक्त राजस्व 16.3 फीसदी बढ़ा जबकि कच्चे माल की लागत 20.7 फीसदी और परिचालन लागत 16.7 फीसदी बढ़ी।

लगातार दूसरे वर्ष कंपनियों का वेतन बिल उनके राजस्व और परिचालन लागत से कम रहेगा। वित्त वर्ष 2019 की पहली तिमाही में वेतन बिल कंपनियों के कुल राजस्व का 9.9 फीसदी रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 10.2 फीसदी और वित्त वर्ष 2017 में 10.3 फीसदी रहा था। यह विश्लेषण 2,230 सूचीबद्घ कंपनियों के सालाना मुनाफे और नुकसान के आंकड़ों पर निर्भर है जिनका वित्तीय लेखा-जोखा वित्त वर्ष 2012 से उपलब्ध है। ताजा आंकड़े अप्रैल-जून, 2018 तिमाही के हैं। कंपनियों के वेतन बिल में बदलावों को रोजगार बाजार की स्थिति का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। 

कंपनियों के क्षेत्रवार विश्लेषण से पता चलता है कि सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं, धातु एवं खनन, दवा और गैर बैंकिंग खुदरा ऋणदाता, वाहन उद्योग और उनके कलपुर्जों से जुड़े क्षेत्र तथा एफएमसीजी क्षेत्र में रोजगार बढ़े हैं। इक्विनॉमिक्स रिसर्च ऐंड एडवाइजरी के संस्थापक एवं प्रबंध निदेशक जी चोकलिंगम कहते हैं, 'निजी खपत और निर्यात से जुड़े क्षेत्रों जैसे आईटी सेवाएं, धातु एवं खनन कंपनियों में रोजगार के मौके बढ़े हैं। दो साल की मंदी के बाद इन क्षेत्रों में कर्मचारियों की भर्ती में तेजी आई है। लेकिन निवेश संबंधी क्षेत्रों में अब भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है क्योंकि निजी क्षेत्र में पूंजीगत व्यय अब भी सुस्त रफ्तार से चल रहा है।'

बजाज फाइनैंस, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनैंस कॉरपोरेशन (एचडीएफसी), इंडियाबुल्स हाउसिंग, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनैंस और दीवान हाउसिंग जैसे गैर बैंकिंग खुदरा ऋणदाताओं में जून तिमाही में पिछले साल के मुकाबले वेतन बिल में सबसे ज्यादा 27.6 फीसदी बढ़ोतरी दर्ज की गई जो छह साल में सर्वाधिक है। वाहन उद्योग में यह 18 फीसदी और उससे जुड़े कलपुर्जों के क्षेत्र में 18.6 फीसदी रही।

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