Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Jul, 2018 07:14 PM
बढ़ते वैश्विक जोखिम से अल्पकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 68 से 72 रुपए प्रति डॉलर के दायरे में पहुंच सकता है लेकिन इसके बाद रिजर्व बैंक स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है।
नई दिल्लीः बढ़ते वैश्विक जोखिम से अल्पकाल में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया गिरकर 68 से 72 रुपए प्रति डॉलर के दायरे में पहुंच सकता है लेकिन इसके बाद रिजर्व बैंक स्थिति नियंत्रण में लाने के लिए बाजार में हस्तक्षेप कर सकता है। यूबीएस की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की इस प्रमुख कंपनी के मुताबिक यदि आने वाले समय में बाजार पर बाहरी दबाव जारी रहता है और अमेरिकी डॉलर में मजबूती बनी रहती है तो नीति निर्माता अमेरिकी मुद्रा जमा जुटाने का कदम उठा सकते हैं। रुपए को स्थिर रखने की दिशा में यह उनका आखिरी कदम हो सकता है।
यूबीएस सिक्युरिटीज इंडिया के अर्थशास्त्री तान्वी गुप्ता जैन और रोहित अरोड़ा (रणनीतिकार) द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष के अंत में बेशक हम यह मान रहे हैं कि रुपए पर दबाव होगा लेकिन इससे कहीं अधिक अमेरिकी डॉलर कमजोर रहेगा जो कि रुपए की गिरावट की भरपाई कर देगा। यूबीएस की विदेशी मुद्रा बाजार टीम मानती है कि अमेरिकी वित्तीय गतिविधियों में तेजी और ऊंचे प्रतिफल के बावजूद डॉलर कमजोर रहेगा और इस स्थिति को देखते हुए वह अपनी इस वित्त वर्ष की समाप्ति तक डॉलर के मुकाबले रुपए की दर 66 रुपए और 2019- 20 की समाप्ति तक 66.5 रुपए प्रति डालर पर रहने के अपने अनुमान को बरकार रखती है।
अमेरिकी डॉलर के समक्ष रुपया इस साल अब तक 8 प्रतिशत गिर चुका है जिससे रुपया अपने समकक्ष देशों की मुद्राओं के समक्ष सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन गया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों की भारी निकासी को देखते हुए यूबीएस का मानना है कि भारत अपनी बाहरी स्थिति को लेकर संवेदनशील बना रहेगा। उल्लेखनीय है कि रुपया पिछले सप्ताह अपने अब तक के निचले स्तर 69 रुपए प्रति डॉलर तक लुढ़क गया।