रुपए में रिकॉर्ड गिरावट, डॉलर के मुकाबले पहली बार 72 रुपए के पार

Edited By Supreet Kaur,Updated: 06 Sep, 2018 01:23 PM

rupee depreciates dollar rises to 72 rupees for the first time

डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 72 के स्तर को पार कर गया है। रुपए ने 72.09 का निचला स्तर छुआ है। शुरुआती कारोबार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की मजबूती के साथ 71.62 के स्तर पर...

बिजनेस डेस्कः डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 72 के स्तर को पार कर गया है। रुपए ने 72.09 का निचला स्तर छुआ है। शुरुआती कारोबार में आज डॉलर के मुकाबले रुपया 13 पैसे की मजबूती के साथ 71.62 के स्तर पर खुला। वहीं कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और उभरती अर्थव्यवस्था वाले बाजारों में कमजोरी के रुख के कारण रुपया कल डॉलर के मुकाबले 17 पैसे की एक और बड़ी गिरावट के साथ 71.75 के नए सर्वकालिक निम्न स्तर पर बंद हुआ।

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रुपए में गिरावट से घबराने की जरूरत नहीं- जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को कहा था कि रुपए में गिरावट वैश्विक कारणों से आ रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपए की स्थिति बेहतर है। बुधवार को पिछले छह कारोबारी सत्रों में रुपया 165 पैसे टूट चुका है। वित्त मंत्री ने कहा कि यदि आप घरेलू आर्थिक स्थिति और वैश्विक स्थिति को देखें, तो इसके पीछे कोई घरेलू कारक नजर नहीं आएगा। इसके पीछे वजह वैश्विक है। उन्होंने कहा कि रुपया कमजोर नहीं हुआ है। यह अन्य मुद्राओं मसलन पाउंड और यूरो की तुलना में मजबूत हुआ है।

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पैट्रोल-डीजल होगा महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपए के 70 के स्तर पार पहुंचने का असर क्रूड के इंपोर्ट पर हो सकता है। भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आयात करता है। ऐसे में डॉलर की कीमतें बढ़ने से इनके इंपोर्ट के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इंपोर्ट महंगा होगा तो ऑयल मार्केटिंग कंपनियां पैट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ा सकती हैं।

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बढ़ सकती है महंगाई
देश में खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है। ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेगा। अगर पेट्रोलियम उत्पाद महंगे हुए तो पेट्रोल-डीजल के साथ-साथ साबुन, शैंपू, पेंट इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, जिससे ये प्रोडेक्ट भी महंगे हो सकते हैं। ऑटो इंडस्ट्री की लागत बढ़ेगी, साथ ही डीजल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से माल ढुलाई का खर्च भी बढ़ने का डर रहता है। रुपए में गिरावट बनी रही तो कार कंपनियां आगे कीमतें बढ़ाने पर विचार कर सकती हैं।

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