72 के स्तर पर गिर सकता है रुपया, बढ़ सकती है महंगाई

Edited By Supreet Kaur,Updated: 14 Aug, 2018 09:47 AM

rupee may fall at 72 level inflation may rise

तुर्की के आर्थिक संकट से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका से कल दुनियाभर में मुद्राओं की स्थिति डांवाडोल रही। भारतीय रुपया भी इससे अछूता नहीं रहा। तुर्की मुद्रा लीरा में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान अमरीकी मुद्रा अन्य वैश्विक...

बिजनेस डेस्कः तुर्की के आर्थिक संकट से वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने की आशंका से कल दुनियाभर में मुद्राओं की स्थिति डांवाडोल रही। भारतीय रुपया भी इससे अछूता नहीं रहा। तुर्की मुद्रा लीरा में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस दौरान अमरीकी मुद्रा अन्य वैश्विक मुद्राओं की तुलना में मजबूत हो गई। रुपए में आई भारी गिरावट के कारण महंगाई बढ़ सकती है।

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रुपए में गिरावट की वजह
एक सरकारी बैंक के कोषाध्यक्ष ने कहा कि रुपए में मुख्य तौर पर जो गिरावट आई है वह तुर्की की मुद्रा लीरा की वजह से है। विदेशी संस्थागत निवेशक (एफ.आई.आई.) की ओर से प्रवाह में कमी और बढ़ती तेल कीमतों से भी रुपया प्रभावित हुआ है। सार्वजनिक क्षेत्र के एक बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपए के इन स्तरों पर आर.बी.आई. सहज स्थिति में नहीं होगा। उसे हर स्तर पर रुपए का बचाव करते देखा गया।  उन्होंने कहा कि डॉलर के मुकाबले रुपया जल्द ही 72 रुपए के स्तर तक गिर सकता है।

आम आदमी की जेब पर पड़ेगा असर
रुपया अपने रिकॉर्ड निचले स्तर को छू चुका है और आगे इसे करीब 4 प्रतिशत और टूटने की आशंका जताई जा रही है। ऐसे में कमजोर रुपए का असर सरकार की बैलेंसशीट के साथ-साथ आम आदमी की जेब पर भी पड़ना तय है। देश में करीब लगभग 90 प्रतिशत से ज्यादा खाने-पीने की चीजों और दूसरे जरूरी सामानों के ट्रांसपोर्टेशन के लिए डीजल का इस्तेमाल होता है। ऐसे में डीजल महंगा होते ही इन सारी जरूरी चीजों के दाम बढ़ेंगे। वहीं खाद्य तेल भी महंगे होंगे। देश में करीब 1 एक लाख टन खाद्य तेल का हर साल आयात होता है।

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पैट्रोल-डीजल होगा महंगा
डॉलर के मुकाबले रुपये के 69 के स्तर पर पहुंचने का बड़ा असर क्रूड यानी कच्चे तेल के आयात पर हुआ है। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है। ऐसे में यदि कच्चे तेल का आयात महंगा होगा, निश्चित तौर पर ऑयल मार्कीटिंग कम्पनियां पैट्रोल-डीजल की कीमतों पर अग्रैसिव रुख अपना सकती हैं। यानी पैट्रोल-डीजल की महंगाई आने वाले दिनों में बढ़ सकती है।

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निर्यातकों को हो सकता है फायदा
रुपए की कमजोरी से जहां आयातकों को दबाव झेलने को मिल सकता है वहीं इसका फायदा निर्यातकों को होगा। डॉलर के मजबूत होने के बाद विदेशों से भारत में पैसा मंगाना फायदेमंद होगा। अब 1 डॉलर पर भारतीय निर्यातकों को 69 रुपए के आस-पास मिल रहे हैं, वहीं जिन भारतीयों के परिचित विदेशों से यहां पैसा भेजते हैं उन भारतीयों को सबसे ज्यादा मुनाफा मिलेगा।

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