Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Nov, 2018 05:22 PM
वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का दाम ऊंचा बने रहने के साथ रुपए पर दबाव बना रह सकता है और अगले तीन महीने में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76 के स्तर पर पहुंच सकता है। डॉलर के लगातार मजबूत होने तथा विदेशी पूंजी प्रवाह की कमी
मुंबईः वैश्विक बाजार में कच्चे तेल का दाम ऊंचा बने रहने के साथ रुपए पर दबाव बना रह सकता है और अगले तीन महीने में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 76 के स्तर पर पहुंच सकता है। डॉलर के लगातार मजबूत होने तथा विदेशी पूंजी प्रवाह की कमी तथा कच्चे तेल के ऊंचे दाम के कारण घरेलू मुद्रा 74 रुपए प्रति डॉलर के स्तर को पार कर गई थी। चालू वर्ष में रुपया 15 प्रतिशत से अधिक टूट चुका है।
स्विट्जरलैंड की ब्रोकरेज कंपनी यूबीएस ने सप्ताहांत रिपोर्ट में कहा, ‘‘यह मान लिया जाए कि वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का दाम ऊंच बना रहता है और यह 80 डॉलर बैरल से ऊपर रहता है तो हमारा अनुमान है कि रुपया अगले तीन महीने में टूटकर 76 के स्तर पर जा सकता है।’’ इस साल अप्रैल से लेकर अगस्त के पहले सप्ताह तक आरबीआई उतार-चढ़ाव को थामने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करता रहा है। इसके कारण विदेशी मुद्रा भंडार में उल्लेखनीय कमी आई है और यह पिछले सप्ताह 25 अरब डॉलर घटकर 393 अरब डॉलर पर पहुंच गया। इससे आरबीआई ने दो बार रेपो दर में कुल मिलाकर 0.50 प्रतिशत की वृद्धि की है।
रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में प्रमुख नीतिगत दर को यथावत रखते हुए आरबीआई ने संकेत दिया है कि वह रुपए को थामने के लिए ब्याज दर का उपयोग नहीं करेगा। यूबीएस विश्लेषक गौतम चाओछरिया ने कहा, ‘‘वर्ष 2013 के विपरीत डॉलर के मुकाबले रुपया चालू वर्ष में 15 प्रतिशत तक टूटा है लेकिन इसके बावजूद अत्यधिक उतार-चढ़ाव वाली मुद्रा समूह से बाहर है और देश का मुद्रा भंडार अब भी युक्तिसंगत है।’’ हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि बाह्य मोर्चे पर जरूर कुछ दबाव है लेकिन घबराने जैसी कोई बात नहीं है।