Edited By rajesh kumar,Updated: 04 Oct, 2020 02:36 PM
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को सामूहिक रूप में बीते वित्त वर्ष 2019-20 में 2,206 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में आरआरबी को 652 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था।
मुंबई: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को सामूहिक रूप में बीते वित्त वर्ष 2019-20 में 2,206 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ है। इससे पिछले वित्त वर्ष 2018-19 में आरआरबी को 652 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा हुआ था। नाबार्ड द्वारा प्रकाशित आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है।
आंकड़ों के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में 26 आरआरबी को 2,203 करोड़ रुपये का लाभ हुआ, वहीं 19 को 4,409 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा हाल में प्रकाशित आरआरबी के आंकड़े एन्श्योर पोर्टल पर आरआरबी द्वारा डाले गए आंकड़ों पर आधारित हैं। 31 मार्च, 2020 तक देश के 26 राज्यों और तीन संघ शासित प्रदेशों के 685 जिलों में 45 आरआरबी परिचालन कर रहे थे।
ये आरआरबी 15 वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रायोजित हैं और 21,850 शाखाओं के नेटवर्क के जरिये परिचालन कर रहे हैं। 31 मार्च, 2020 को समाप्त वित्त वर्ष के दौरान कुल ऋण पर आरआरबी की सकल गैर निष्पादित आस्तियां (एनपीए) मामूली घटकर 10.4 प्रतिशत पर आ गईं, जो एक साल पहले 10.8 प्रतिशत थीं। आंकड़ों के अनुसार 31 मार्च, 2020 तक 45 में से 18 आरआरबी का सकल एनपीए 10 प्रतिशत से अधिक था। 31 मार्च, 2019 को 53 में से 20 आरआरबी का सकल एनपीए 10 प्रतिशत से अधिक था।
आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर बीते वित्त वर्ष में आरआरबी का कारोबार 8.6 प्रतिशत बढ़ा। इससे पिछले वित्त वर्ष के दौरान आरआरबी के कारोबार में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई थी। बीते वित्त वर्ष में आरआरबी का कुल कारोबार 7.77 लाख करोड़ रुपये रहा। इस दौरान आरआरबी के जमा में 10.2 प्रतिशत तथा ऋण या अग्रिम में 9.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।