Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Mar, 2022 05:36 PM
दुनियाभर में कच्चे तेल की लगातार बढ़ रही कीमतों पर सऊदी अरब ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। इसके साथ ही उसने दुनिया को अपनी जिम्मेदारी समझने की बड़ी नसीहत दे डाली। सऊदी अरब का कहना है कि वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की आपूर्ति में कमी के लिए वह जिम्मेदार...
बिजनेस डेस्कः दुनियाभर में कच्चे तेल की लगातार बढ़ रही कीमतों पर सऊदी अरब ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। इसके साथ ही उसने दुनिया को अपनी जिम्मेदारी समझने की बड़ी नसीहत दे डाली। सऊदी अरब का कहना है कि वैश्विक बाजार में क्रूड ऑयल की आपूर्ति में कमी के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। वह इसके लिए कोई जिम्मेदारी नहीं उठाएगा।
ईरान समर्थित यमन के हुती विद्रोहियों की ओर से किए गए हमले से सऊदी अरब में तेल उत्पादन बाधित होने के बाद उसने यह टिप्पणी की है। यूक्रेन पर रूसे के हमले की वजह से कच्चे तेल की कीमतों में हुई बढ़ोतरी और उत्पादन में वृद्धि को काबू में करने के ओपेक और अन्य तेल उत्पादक देशों के साथ समझौते को लेकर चल रही बातचीत के बीच सऊदी ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ दिया है।
अमेरिका में लोगों को चुकानी पड़ रही रिकॉर्ड कीमत
सरकारी सऊदी प्रेस एजेंसी ने विदेश मंत्रालय के हवाले से कहा कि यमन के विद्रोहियों के खिलाफ मुकाबले के लिए ऊर्जा आपूर्ति बनाए रखने के लिए वैश्विक समुदाय अपनी जिम्मेदारी उठाए। ऐसा नहीं करने पर कच्चे तेल के मोर्चे पर मुश्किलें खत्म नहीं होंगी। फिलहाल स्थिति यह है कि अमेरिका में लोगों को पेट्रोल पंपों पर गैसोलीन (वाहन ईंधन) के लिए रिकॉर्ड कीमत चुकानी पड़ रही है।
बार-बार हमले से प्रभावित हो रही उत्पादन क्षमता
सऊदी अरब ने कहा कि हुतियों के बार-बार हमला करने की वजह से उसकी उत्पादन क्षमता प्रभावित हो रही है। वह तेल उत्पादन और आपूर्ति संबंधी अपने वादे पूरे नहीं कर पा रहा है। इससे दुनियाभर के बाजारों में ऊर्जा आपूर्ति की सुरक्षा और स्थिरता पर जोखिम पैदा होने लगा है।
आज फिर बढ़ गए ब्रेंट क्रूड के दाम
मंगलवार को कारोबार को दौरान बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 119 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया। एक दिन पहले यानी सोमवार को यह 112 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गया था। यमन विद्रोहियों ने रविवार को सऊदी अरब के तेल और प्राकृतिक गैस उत्पादन को निशाना बनाकर सिलसिलेवार हमले किए। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय ने कहा कि लाल सागर के तट पर स्थित यान्बु पेट्रोकेमिकल्स परिसर पर हुए हमले से तेल उत्पादन में अस्थायी रूप से कमी आई थी।