Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Jun, 2019 11:26 AM
अगर आप घर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो प्रॉपर्टी पर गुड्स एंड सॢवस टैक्स (जी.एस.टी.) के बारे में जानकारी पहले जरूर जुटा लें। यह आपको बड़ी बचत करा सकती है।
नई दिल्ली: अगर आप घर खरीदने की तैयारी कर रहे हैं तो प्रॉपर्टी पर गुड्स एंड सॢवस टैक्स (जी.एस.टी.) के बारे में जानकारी पहले जरूर जुटा लें। यह आपको बड़ी बचत करा सकती है।
खरीदने पर बिल्डर पहले सेवा कर और अब जी.एस.टी. के नाम पर कई बार उपभोक्ताओं से ज्यादा पैसे वसूल रहे हैं। इसके चलते 1 अप्रैल से केन्द्र ने दो श्रेणियो में बांटते हुए घरों पर जी.एस.टी. की दरों में कटौती की है। ऐसे में बिल्डर को भुगतान करने से पहले जी.एस.टी. की दर जरूर पता करें।
बिल्डर नहीं मांग सकते जी.एस.टी. रिफंड
नए नियमों के मुताबिक 1 अप्रैल के बाद शुरू हुए प्रोजैक्ट में सस्ते घरों और अन्य श्रेणी के घरों पर जी.एस.टी. 7 प्रतिशत कम चुकानी होगी। पहले यह दर क्रमश: 8 और 12 प्रतिशत थी। नई जी.एस.टी. दरों के मामले में बिल्डर अब अपनी निर्माण सामग्री पर इन्पुट टैक्स क्रैडिट यानी जी.एस.टी. रिफंड नहीं मांग सकेंगे।
सस्ते घर पर जी.एस.टी. की दर कितनी?
सरकार ने इस साल फरवरी में अंतरिम बजट में यह घोषणा की थी कि 1 अप्रैल से निर्माणाधीन घरों (फ्लैट) पर जी.एस.टी. 1 और 5 प्रतिशत की दर से लगेगी। इसके तहत सस्ते घरों पर एक प्रतिशत जी.एस.टी. लगेगी, जबकि अन्य पर 5 प्रतिशत दर लेगेगी।
सस्ते घर की परिभाषा
सरकार के अनुसार 45 लाख रुपए तक के मकान सस्ते घर की श्रेणी में आएंगे। इसके तहत एन.सी.आर. समेत देश के महानगरों में 60 वर्ग मीटर कॉर्पेट एरिया के मकान सस्ते घर की श्रेणी में आएंगे जबकि अन्य शहरों और गांवों में 90 वर्ग मीटर कॉर्पेट एरिया के मकान सस्ते घर की श्रेणी में आएंगे। दिल्ली-एन.सी.आर. के तहत नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम आएंगे।