Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Mar, 2019 06:48 PM
राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के प्रमुख कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत अन्य वित्तीय संस्थानों की सोमवार को खूब खिंचाई की।
मुंबईः राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने कर्ज में डूबी रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) के प्रमुख कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) समेत अन्य वित्तीय संस्थानों की सोमवार को खूब खिंचाई की। न्यायाधिकरण ने कहा कि बैंकों ने दूरसंचार कंपनी की संपत्ति रिलायंस जियो को बेचकर 37,000 करोड़ रुपए प्राप्त होने को लेकर गलत एहसास दिलाया। चेयरमैन न्यायाधीश एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय पीठ ने रिलायंस कम्युनिकेशन को कर्ज दे रखे बैंकों खासकर एसबीआई को फटकार लगाई और यह पूछा कि इसके लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं शुरू की जानी चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘आपने जो बातें कही, उसे पूरा करने में विफल रहे। संयुक्त कर्जदाता समूह विफल रहा है। कोई बिक्री नहीं हुई।’’ पीठ के अनुसार कर्जदाताओं ने संपत्ति बिक्री के जरिए करीब 37,000 करोड़ रुपए की वसूली को लेकर एनसीएलएटी को ‘सब्जबाग’ दिखाए लेकिन कुछ नहीं हुआ। आप असफल रहे और अब 260 करोड़ वसूलना चाहते हैं।
आरकॉम का पक्ष
अपीलीय न्यायाधिकरण ने 260 करोड़ रुपए के आयकर रिटर्न को जारी नहीं करने के लिए SBI की खिंचाई भी की, जिसका इस्तेमाल RCom द्वारा स्वीडिश दूरसंचार उपकरण निर्माता एरिक्सन को भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। पीठ आरकॉम द्वारा एरिक्सन के पक्ष में कर वापसी की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आरकॉम को एरिक्सन को इसके 550 करोड़ रुपए के बकाया का एक हिस्सा देने में इसकी मदद करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने अनिल अंबानी को दोषी ठहराया
बता दें कि 20 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने आरकॉम के चेयरमैन अनिल अंबानी और दो अन्य लोगों को दोषी ठहराया था। अनिल अंबानी को एरिक्सन को 550 करोड़ का बकाया नहीं चुकाकर कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने के लिए अवमानना का दोषी ठहराया गया। देश की सर्वोच्य अदालत ने तब सुनवाई के दौरान आगे कहा था कि अगर कंपनी चार सप्ताह के भीतर भुगतान करने में विफल रही तो आरकॉम प्रमुख अनिल अंबानी को तीन साल की जेल की सजा हो सकती है।
कोर्ट ने ऋणदाताओं को यह भी याद दिलाया कि एक बार कॉर्पोरेट इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया (CIRP) शुरू होने के बाद, उधारदाताओं को `260 करोड़ नहीं मिलेंगे क्योंकि यह कॉर्पोरेट देनदार के पास जाएगा। एनसीएलएटी ने इससे पहले 15 मई, 2018 को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) की मुंबई पीठ द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद आरकॉम के खिलाफ दिवालिया कार्यवाही रोक दी थी। शीर्ष अदालत ने 23 अक्टूबर को आरकॉम को 15 दिसंबर, 2018 तक बकाया राशि देने को कहा था।
जेल भेजने से नहीं होगा समस्याओं का समाधान
जानना चाहिए कि आरकॉम पहले ही सुप्रीम के समक्ष 118 करोड़ रुपए का भुगतान कर चुका है। इसके अलावा, इसने उधारदाताओं को सीधे एरिक्सन को 260 करोड़ रुपए के आयकर रिफंड जारी करने के लिए कहा है। कंपनी एरिक्सन को ब्याज सहित 550 करोड़ रुपए का भुगतान करने के लिए 200 करोड़ रुपए जुटाने की योजना बना रही है। हालांकि पीठ ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान क्यों नहीं किया जाना चाहिए? मगर किसी (अनिल अंबानी) को जेल भेजने से हमारी समस्याओं का समाधान नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को पैसा चुकाने का निर्देश दिया है।