डॉक्टरों को सैलरी न मिलने पर SC नाराज, कहा- युद्ध में सैनिकों को नहीं रख सकते दुखी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Jun, 2020 06:17 PM

sc angry over doctors not getting salary said can t keep soldiers

कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रूख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा

नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी के खिलाफ जंग लड़ रहे चिकित्सकों को वेतन का भुगतान नहीं करने और उनके रहने की समुचित व्यवस्था नहीं होने पर कड़ा रूख अपनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा, ‘‘युद्ध के दौरान आप सैनिकों को नाराज मत कीजिए। थोड़ा आगे बढ़कर उनकी शिकायतों के समाधान के लिए कुछ अतिरिक्त धन का बंदोबस्त कीजिए।''

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कोर्ट ने कहा कि स्वास्थ्यकर्मियों के वेतन का भुगतान नहीं होने जैसे मामलों में अदालतों को शामिल नहीं करना चाहिए और सरकार को ही इसे हल करना चाहिए। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिए डाकटरों की समस्याओं को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की।

पीठ ने कहा कि इस तरह की खबरें आ रही हैं कि कई क्षेत्रों में चिकित्सकों को वेतन नहीं दिया जा रहा है। पीठ ने कहा, ‘‘हमने ऐसी खबरें देखीं हैं कि डाक्टर हड़ताल पर हैं। दिल्ली में कुछ डाक्टरों को पिछले तीन महीने से वेतन नहीं दिया गया है। इसका ध्यान रखा जाना चाहिए था और इसमे न्यायालय के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं होनी चाहिए।'' 

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न्यायालय इस संबंध में एक डाक्टर की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि कोविड-19 के खिलाफ जंग में पहली कतार के योद्धाओं को वेतन नहीं दिया जा रहा या फिर वेतन में कटौती की जा रही है अथवा इसके भुगतान में विलंब किया जा रहा है। इस चिकित्सक ने 14 दिन के पृथकवास की अनिवार्यता खत्म करने संबंधी केन्द्र के नए दिशानिर्देश पर भी सवाल उठाए थे। 

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कोर्ट ने कहा, कोरोना महामारी के खिलाफ चल रहे इस तरह के युद्ध में देश सैनिकों की नाराजगी सहन नहीं कर सकता। केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर कुछ बेहतर सुझाव मिलेंगे तो उन्हें शामिल किया जाएगा। पीठ ने कहा कि आपको और अधिक करना होगा। आप सुनिश्चित कीजिए कि उनकी चिंताओं का समाधान हो। न्यायालय ने इस मामले को अगले सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। 

केन्द्र ने चार जून को न्यायालय से कहा था कि संक्रमित लोगों की लगातार बढ़ रही संख्या को देखते हुए निकट भविष्य में उनके लिए बड़ी संख्या में अस्थाई अस्पतालों का निर्माण करना होगा। केन्द्र ने यह भी दलील दी कि यद्यपि संक्रमण के रोकथाम और नियंत्रण की गतिविधियां लागू करने की जिम्मेदारी अस्पतालों की है लेकिन कोविड- 19 से खुद को बचाने की अंतिम रूप से जिम्मेदारी स्वास्थ्यकर्मियों की है। केन्द्र ने यह भी कहा था कि 7/14 दिन की ड्यूटी के बाद स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 14 दिन का पृथकवास अनावश्यक है और यह न्यायोचित नहीं है।
 

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