AGR भुगतान केस- सुप्रीम कोर्ट ने कंपनियों से मांगा 10 साल का बहीखाता

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Jun, 2020 03:15 PM

sc hearing today telecom companies will declare a plan to repay the arrears

टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने बकाया ना चुकाने

बिजनेस डेस्कः टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने बकाया ना चुकाने वाली टेलीकॉम कंपनियों से 10 साल का बहीखाता मांगा। साथ ही कंपनियों से यह भी कहा कि 10 साल में दिए गए टैक्स का ब्यौरा भी कोर्ट में दाखिल करें।

देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र से कहा कि वो कंपनियों की भुगतान योजना पर विचार करे और कोर्ट को इस संबंध में जानकारी दे। इस याचिका पर अब अगली सुनवाई जुलाई के तीसरे हफ्ते में होगी। सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दूरसंचार एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पैसा कमा रहा है, इसलिए उसे कुछ धनराशि जमा करनी होगी क्योंकि सरकार को महामारी के इस दौर में पैसे की जरूरत है।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बताया कि पीएसयू के खिलाफ एजीआर बकाया क्यों बढ़ गया। यह भी कहा गया कि 4 लाख करोड़ रुपए का 96% बिल वापस ले लिया गया है। उन्होंने आगे कहा कि टेलीकॉम कंपनियों ने हलफनामा दाखिल कर दिया है। दूरसंचार विभाग को जवाब देना है और इसके लिए कुछ समय मिलना चाहिए।
 
समाधान के लिए साथ बैठना होगाः भारती एयरटेल
सुनवाई के दौरान भारती एयरटेल ने कोर्ट से कहा कि सरकार और कंपनियों को समाधान के लिए साथ बैठना चाहिए जिससे बकाया भुगतान को लेकर फैसला किया जा सके। इससे पहले एजीआर जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते सुनवाई करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि वे बकाया का भुगतान कैसे करेंगे। कोर्ट ने टाइमफ्रेम के बारे में भी बताने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 के फैसले को सार्वजनिक उपक्रमों से बकाया मांगने का आधार नहीं बनाया जा सकता था। कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग को कहा कि वो सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) से बकाया मांगने के मुद्दे पर फिर से विचार करे। इस पूरे मामले में टेलीकॉम कंपनियां और विभाग हलफनामा दाखिल करेंगे।

क्या है पूरा विवाद
एजीआर यानी एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है। आंकड़ों के मुताबिक, इन कंपनियों पर एजीआर के तहत 1.47 लाख करोड़ रुपया बकाया है। भारती एयरटेल पर करीब 35 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बाकी है। इसके अलावा कुछ कंपनियों पर बकाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपए का सांविधिक बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था। सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था।
 

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