Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Apr, 2018 11:07 AM
घोटाले में फंसे सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) ने अपने कथित रूप से भ्रष्ट स्टाफ (कर्मचारियों) के खिलाफ कार्रवाई करने की केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सलाह को नजरअंदाज किया था।
नई दिल्लीः घोटाले में फंसे सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब नैशनल बैंक (पी.एन.बी.) ने अपने कथित रूप से भ्रष्ट स्टाफ (कर्मचारियों) के खिलाफ कार्रवाई करने की केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की सलाह को नजरअंदाज किया था। सीवीसी ने पी.एन.बी. और कुछ अन्य सरकारी संगठनों को इस बारे में सलाह दी थी।
संसद में हाल में पेश सीवीसी की 2017 की वार्षिक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख है कि पी.एन.बी. ने उसकी सलाह की अनदेखी की थी। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जबकि पी.एन.बी. 13,000 करोड़ रुपए के ऋण घोटाले में कई एजेंसियों की जांच का सामना कर रहा है। इस घोटाले के सूत्रधार आभूषण कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा गीतांजलि जेम्स के प्रवर्तक मेहुल चोकसी है।
सीवीसी की ताजा रिपोर्ट में ऐसे मामले का जिक्र है जिसमें पी.एन.बी. ने एक कंपनी को 200 लाख रुपए की नकद ऋण (सीसी) सीमा और 150 लाख रुपए का मियादी ऋण देहरादून में एक विनिर्माण इकाई लगाने के लिए दिया था। यह कर्ज ऐसी संपत्ति को गिरवी रखकर दिया गया था, जो अव्यावहारिक थी। यह कर्ज शेयर, संयंत्र और कारखाना जमीन को बंधक रखकर दिया गया था, जिसका मूल्य 42 लाख रुपए था। इसके अलावा कर्ज के लिए दिल्ली में एक अचल संपत्ति को गिरवी रखा गया था।