सेबी ने स्टार्ट-अप में निवेश के नियम किए आसान

Edited By ,Updated: 23 Nov, 2016 07:13 PM

sebi  startup

सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों में निवेश को बढावा देने के उद्येश्य से इस क्षेत्र में एंजल निवेशकों के लिए नियमों में ढील दी है। इसके तहत नए व्यावसायिक विचारों को सहारा देने वाले एेसे निवेशक अब 5 साल तक पुरानी इकाइयों में पूंजी लगा सकेंगे।

मुंबई: सेबी ने स्टार्ट-अप कंपनियों में निवेश को बढावा देने के उद्येश्य से इस क्षेत्र में एंजल निवेशकों के लिए नियमों में ढील दी है। इसके तहत नए व्यावसायिक विचारों को सहारा देने वाले एेसे निवेशक अब 5 साल तक पुरानी इकाइयों में पूंजी लगा सकेंगे। सेबी के निदेशक मंडल ने आज की अपनी बैठक में एंजल निवेशकों के लिए स्टार्ट-अप कंपनी में निवेश बनाए रखने की न्यूनतम अनिवार्य अवधि 3 साल से घटा कर एक साल कर दी है। इसी तरह उनके लिए न्यूनतम निवेश की सीमा भी 50 लाख रुपए से घटा कर 25 लाख कर दी गई।   

स्टार्ट अप क्षेत्र के एेसे निवेशकों को अपनी निवेश योग्य निधि के एक चौथाई हिस्से को विदेशी उद्यमों में निवेश करने की छूट होगी। यह इस बारे में अन्य क्षेत्र के एंजल निवेशकों के लिए लागू नियम के ही अनुरूप है। सेबी ने एक योजना में एंजल निवेशकों की अधिकतम संख्या 49 से बढ़ा कर 200 कर दी है। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के निदेशक मंडल ने सेबी (वैकल्पिक निवेश कोष) विनियम, 2012 में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूर कर स्टार्ट अप कंपनियों को एंजल कोषों के निवेश के अपने नियमों को औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डी.आई.पी.पी.) की नीति के प्रावधानों के अनुरूप कर दिया है।   

सेबी ने कहा है कि नए नियमों के तहत एंजल कोष अब स्टार्ट-अप में 3 की जगह अब 5 साल के अंदर पंजीकृत इकाइयों में निवेश कर सकेंगे। जोखिम को बांटने के लिए सेबी ने इस क्षेत्र के एंजल निवेशकों को अपने निवेश योग्य धन का 25 प्रतिशत हिस्सा विदेश में करने की छूट दी हैं। इस तरह संशोधित यह व्यवस्था अन्य वैकल्पिक निवेश कोषों जैसी हो गई है।

सेबी ने स्टार्ट-अप क्षेत्र में निवेश कोष के लिए तय न्यूनमत सीमा 50 से घटा कर 25 लाख कर दी है। इसके पीछे सोच यह है कि विचार के स्तर पर कुछ इकाइयों को ज्यादा धन की जरूरत नहीं होती। भारत में स्टार्ट-अप क्षेत्र के लिए वैकल्पिक निवेश कोष उद्योग के विकास और स्टार्ट-अप इकाइयों के लिए अनुकूल नियामकीय वातावारण उपलब्ध कराने के बारे में सिफारिश करने के लिए मार्च 2015 में इंफोसिस टेक. के पूर्व प्रमुख एनआर नारायणमूर्ति की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई थी। इसे वैकल्पिक निवेश नीति सलाहकार समिति कहा गया। इसमें बाजार के विभिन्न खंडों के प्रतिनिधि रखे गए थे। इस रिपोर्ट पर सार्वजनिक बहस के बाद सेबी ने एंजल निवेश कोष के बारे में ये संशोधित नियम मंजूर किए हैं। इस समय सेबी में कुल 266 वैकल्पिक निवेश कोष पंजीकृत हैं। इनमें 4 एंजल फंड सहित 84 प्रथम वर्ग के फंड हैं जिनमें वेंचर कैपिटल फंड, एसएमई फंड और इन्फास्ट्रक्चर फंड शामिल होते हैं।

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