Edited By rajesh kumar,Updated: 14 Sep, 2020 01:49 PM
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मल्टीकैप म्यूचुअल फंड के लिए संपत्ति आवंटन नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत ऐसे कोषों को अपने कोष का कम से कम 75 फीसदी शेयरों में निवेश करना जरूरी होगी जोकि अभी यह सीमा 65 फीसदी है।
नई दिल्ली: भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मल्टीकैप म्यूचुअल फंड के लिए संपत्ति आवंटन नियमों में बदलाव किया है। नए नियमों के तहत ऐसे कोषों को अपने कोष का कम से कम 75 फीसदी शेयरों में निवेश करना जरूरी होगी जोकि अभी यह सीमा 65 फीसदी है। सेबी के नए नियमों के मुताबिक, मल्टीकैप फंड्स में 25 परसेंट हिस्सा स्मॉलकैप, 25 परसेंट मिडकैप और 25 परसेंट हिस्सा लार्जकैप शेयरों का होना चाहिए, जिसे लेकर अबतक कोई सीमा निर्धारित नहीं थी। फंड मैनेजर्स अपनी मर्जी के हिसाब से आवंटन करते थे और लागू करने के लिए 31 जनवरी और 2021 का समय दिया जाता है।
सेबी ने क्यों बदले मल्टीकैप के नियम
मल्टीकैप के लिए नियमों में बदलाव करने पर सेबी ने कहा कि मल्टीपकैप फंड्स सिर्फ नाम के मल्टीकैप न रहें। क्योंकि मल्टीकैप फंड्स में लार्जकैप शेयरों का बोलबाला रहता है।
- सेबी के मुताबिक कुछ मल्टीकैप स्कीम में 80 परसेंट तक निवेश लार्ज कैप में था, ये किस तरह का मल्टीकैप हुआ।
- कुछ स्कीम में स्मॉल कैप में निवेश शून्य या फिर बेहद कम था।
- ऐसे में ये स्कीम मल्टी कैप स्कीम किसी लिहाज से सही नहीं कही जा सकती।
- बाजार में कुछ स्टॉक्स ही मिलकर बाजार को चला रहे हैं।
- इस वजह से छोटी कंपनियों को बाजार से पूंजी जुटाने में दिक्कत होती है।
- सेबी चाहती है कि छोटी कंपनियों को भी बड़ी कंपनियों की तरह मौके मिलें।
- बड़ी कंपनियों और बड़ी और छोटी कंपनियां और छोटी न बनती जाएं।
- बाजार की तेजी में ज्यादा से ज्यादा शेयरों का योगदान हो, इसमें छोटी कंपनियां का भागीदारी बढ़े।
- रीटेल निवेशकों को पैसा बनाने का ज्यादा से ज्यादा मौका मिले।
- मल्टीकैप स्कीम में बड़ी कंपनियों के पीछे भागम भाग कम हो।
सेबी ने नियमों को लेकर दी अपनी सफाई
मल्टीकैप नियमों को लेकर सेबी ने अपनी सफाई में कहा कि मल्टीकैप स्कीम को छोटी कंपनियों में तय सीमा के आधार पर निवेश रखने के लिए जरूरी नहीं है कि वो छोटी कंपनियों में निवेश बढ़ाएं या फिर बड़ी कंपनियों में निवेश घटाएं। सेबी के अनुसार उनके पास अन्य विकल्प भी मौजूद है।
- वो अपनी मल्टीकैप स्कीम को लार्ज कैप स्कीम के साथ मिला सकते हैं।
- मल्टी कैप स्कीम को किसी और स्कीम में बदल सकते हैं।
- यूनिट होल्डर को भी स्कीम बदलने का मौका दिया जा सकता है।
- फंड हाउस ऐसे ही विकल्प का इस्तेमाल कर सकते हैं जिससे उनकी स्कीम और पोर्टफोलियो एक दूसरे के हिसाब से हो जाएं।
- इस बारे में अगर कोई और सुझाव मिलता है, तो वो उस पर भी विचार करेंगे।
सेबी के नए नियमों का असर
- मल्टीकैप फंड्स के करीब 1.46 लाख करोड़ के कुल एसेट्स हैं।
- नए नियमों के बाद लॉर्जकैप से 40,000 करोड़ रुपये स्मॉलकैप और मिडकैप में ट्रांसफर होने की उम्मीद है।
- मिडकैप शेयरों में करीब 13,000 करोड़ रुपये खरीदारी का अनुमान है।
- स्मॉलकैप शेयरों में करीब 27,000 करोड़ रुपये की खरीदारी की उम्मीद है।
- यानि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में खरीदारी बढ़ेगी और ये महंगे भी हो सकते हैं।