Edited By Isha,Updated: 06 Feb, 2019 11:42 AM
बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजारों, क्लीयरिंग कारपोरेशन तथा डिपोजिटरी में काम करने वाले जनहित निदेशकों के लिये कड़े मानदंड तय किये हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को जारी परिपत्र में कहा कि जनहित निदेशकों (पीआईडी) को तीन
नई दिल्लीः बाजार नियामक सेबी ने शेयर बाजारों, क्लीयरिंग कारपोरेशन तथा डिपोजिटरी में काम करने वाले जनहित निदेशकों के लिये कड़े मानदंड तय किये हैं। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मंगलवार को जारी परिपत्र में कहा कि जनहित निदेशकों (पीआईडी) को तीन साल के लिये नामित किया जाएगा। उन्हें तीन साल का और सेवा विस्तार दिया जा सकता है। हालांकि यह उनके प्रदर्शन की समीक्षा पर निर्भर करेगा।
कार्यकाल समाप्त होने के बाद ऐसे निदेशक को अन्य बाजार ढांचागत संस्थान (एमआईआई) में अन्य तीन साल के लिये नामित किया जा सकता है। यह नियुक्ति एक साल के अंतराल के बाद ही हो सकेगी। पीआईडी का कार्यकाल तीन-तीन साल के लिये अधिकतम तीन अवधि के लिये हो सकता है। वह 75 साल तक इस पद पर बने रह सकते हैं। मौजूदा पीआईडी के एमआईआई में तीन साल से अधिक काम करने के संदर्भ में सेबी ने कहा कि अवधि बढ़ायी जा सकती है लेकिन यह प्रदर्शन समीक्षा पर आधारित होगा और संबंधित एमआईआई अधिकतम छह साल की अवधि के लिये होगा हालांकि, जिन मौजूदा पीआईडी ने एक ही एमआईआई में छह साल से अधिक सेवा दी है, उन्हें उस इकाई में सेवा विस्तार नहीं मिलेगा।
सेबी के अनुसार एमआईआई-शेयर बाजार, क्लीयरिंग कारपोरेशन और डिपोजिटरी...की नामित और पारितोषिक समिति पीआईडी के लिये प्रदर्शन समीक्षा नीति तैयार करने के लिये जवाबदेह होंगे। नियामक के अनुसार अगर किसी जनहित निदेशक का हितों का टकराव है तो इस बारे में संचालन बोर्ड को अपनी टिप्पणी के साथ सेबी को जानकारी देनी होगी।