Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Jun, 2018 11:16 AM
बाजार नियामक सेबी की एक शुरूआती जांच में आईसीआईसीआई बैंक व उसकी सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ अपने पति व वीडियोकॉन समूह के बीच कारोबारी लेनदेन में ‘हितों के टकराव’ के संबंध में
नई दिल्लीः बाजार नियामक सेबी की एक शुरूआती जांच में आईसीआईसीआई बैंक व उसकी सीईओ चंदा कोचर के खिलाफ अपने पति व वीडियोकॉन समूह के बीच कारोबारी लेनदेन में ‘हितों के टकराव’ के संबंध में सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सूचना सार्वजनिक करने के नियमों के उल्लंघन के आरोप में न्यायिक निर्णय की कार्रवाई किए जाने (न्यायिक प्रक्रिया शुरू करने) का समर्थन किया गया है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस तरह की कमियों के लिए आईसीआईसीआई बैंक पर सम्बद्ध नियमों के तहत 25 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। वहीं कोचर पर एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। अधिकारी ने कहा इस मामले में सेबी द्वारा आईसीआईसीआई बैंक, कोचर व अन्य को जारी कारण बताओ नोटिसों के जवाब की समीक्षा के बाद न्यायिक प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत जल्द ही होगी।
सेबी के जांच के साथ साथ आईसीआईसीआई बैंक ने एक ‘स्वतंत्र जांच’ की भी घोषणा की है और कोचर जांच पूरी होने तक अवकाश पर चली गई हैं। बैंक का कहना है कि उसके बोर्ड को कोचर में पूरा भरोसा है। नियामकीय सूत्रों ने बताया कि सेबी की शुरूआती जांच के निष्कर्ष इस मामले में नियामक की पूछताछ पर आधारित है। रिपोर्ट के अनुसार कोचर ने स्वीकार किया है कि उनके पति दीपक कोचर के बीते कई साल में वीडियोकॉन के साथ अनेक कारोबारी लेनदेन हुए हैं।
इसके अलावा उन्होंने यह भी स्वीकार किया है कि दीपक कोचर व वेणुगोपाल धूत कंपनी न्यूपावर के सह संस्थापक व प्रवर्तक हैं। शुरुआती रुप के आधार पर सेबी का निष्कर्ष है कि वीडियोकॉन के साथ आईसीआईसीआई बैंक के लेनदेन में ‘हितों के टकराव’ का मामला है। अधिकारी ने कहा कि सेबी ने आईसीआईसीआई बैंक व कोचर के खिलाफ न्यायिक प्रक्रिया की सिफारिश की है। उल्लेखनीय है कि बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का कर्ज दिया। इस कर्ज तथा इस कर्ज के पुनर्गठन में कोचर के पारिवारिक सदस्यों की संलिप्तता सवाल के घेरे में हे।