SEBI की बड़ी कार्रवाई, NSE पर लगाया 625 करोड़ का जुर्माना

Edited By vasudha,Updated: 01 May, 2019 10:57 AM

sebi fined rs 625 crore on nse

पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एनएसई को एक खास जगह स्थापित एक्सचेंज के कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप से वरीयता देने (को - लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष...

बिजनेस डेस्क: पूंजी बाजार नियामक सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। एनएसई को एक खास जगह स्थापित एक्सचेंज के कुछ सर्वर को कारोबार में कथित रूप से वरीयता देने (को - लोकेशन) के मामले में 625 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि सेबी के एक विशेष कोष में जमा कराने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा कंपनी के दो पूर्व प्रमुखों पर भी कार्रवाई की गई है।
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एनएसई की को-लोकेशन सुविधा के माध्यम से उच्च आवृति वाले कारोबार में अनियमितता के आरोपों की जांच के बाद सेबी ने यह आदेश दिया है। आदेश में कहा गया कि एनएसई को 624.89 करोड़ रुपये और उसके साथ उस पर 1 अप्रैल 2014 से 12 प्रतिशत सालाना ब्याज दर सहित पूरी राशि सेबी द्वारा स्थापित निवेशक सुरक्षा एवं शिक्षा कोष (आईपीईएफ) में भरनी होगी। भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इस मामले में एनएसई के दो पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण को एक अवधि विशेष के दौरान प्राप्त वेतन के 25 प्रतिशत हिस्से को वापस करने के लिए भी कहा है। 
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सेबी ने इन दोनों पूर्व अधिकारियों पर पांच साल तक किसी सूचीबद्ध कंपनी या बाजार ढांचा चलाने वाले संस्थान या बाजार में बिचौलिए का काम करने वाली इकाई के साथ काम करने पर भी रोक लगायी है। आदेश के मुताबिक सेबी ने दोनों को छह महीने के लिए प्रतिभूति बाजार में सीधे या परोक्ष रूप से कारोबार करने से भी रोक दिया है। साल 2015 में एक शिकायत के बाद एनएसई की को लोकेशन सुविधा नियामकीय जांच के घेरे में आई। इस मामले में आदेश जारी करते हुए सेबी ने कहा कि एनएसई ने टिक- बाय- टिक (टीबीटी) डेटा रूपरेखा के संबंध में आपेक्षित प्रयास नहीं किया। 
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टीबीटी डेटा फीड ऑर्डर बुक में हुए हर बदलाव के बारे में जानकारी देता है। इसे पारेषण नियंत्रण प्रोटोकॉल / इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए प्रसारित किया जाता है। इस प्रोटोकॉल के तहत एक-एक करके सूचनाएं प्रेषित होती हैं। सेबी के पूर्ण कालिक सदस्य जी महालिंगम ने आदेश में कहा कि इसमें कोई संशय नहीं है कि शेयर बाजार ने टीबीटी रूपरेखा को लागू करने के समय आपेक्षित परिश्रम नहीं किया। इसके चलते एक ऐसा कारोबारी माहौल बना, जिसमें सूचनाओँ का प्रसार असमान था। जिसे निष्पक्ष एवं उचित और न्यायसंगत नहीं माना जा सकता।वहीं , दूसरी तरफ सेबी ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज को अगले छह महीने तक कोई भी नया डेरिवेटिव उत्पाद पेश नहीं करने के लिए कहा है। 
 

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