Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Apr, 2018 11:43 AM
कृषि को पर्यावरणीय स्तर पर टिकाऊ बनाने के लिए, सरकार को वैश्विक मानकों के अनुरूप अच्छे कृषि कामकाज के तरीकों के लिए भारतीय मानकों को तय करने की जरूरत है। भारतीय माइक्रो- उर्वरक विनिर्माता संघ (आईएमएमए) ने यह कहा है।
नई दिल्लीः कृषि को पर्यावरणीय स्तर पर टिकाऊ बनाने के लिए, सरकार को वैश्विक मानकों के अनुरूप अच्छे कृषि कामकाज के तरीकों के लिए भारतीय मानकों को तय करने की जरूरत है। भारतीय माइक्रो- उर्वरक विनिर्माता संघ (आईएमएमए) ने यह कहा है।
आईएमएमए ने कहा है कि इसमें सूक्ष्म पोषक तत्वों के संतुलित उपयोग के लिए भी मानक तय होना चाहिए। इसके अलावा, उक्त संस्था ने फसलों के लिए संतुलित पोषण के महत्व के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए राष्ट्रीय स्तर के अभियान को तैयार करने का आह्वान भी किया। ये सिफारिशें यहां आयोजित राष्ट्रीय फसल पोषण सम्मेलन 2018 में की गई थीं।
आईएमएमए ने एक बयान में कहा कि कृषि के विकास और इसे आर्थिक रूप से लाभप्रद बनाने के लिए विकसित देशों में अपनाये जाने वाले यूरो-जीएपी और वैश्विक- जीएपी मानकों की तर्ज पर उसने भारतीय बेहतर कृषि कामकाज (आईएनडी-जीएपी) की स्थापना की सिफारिश की है। इसने कहा है कि फसल उत्पादन में सबसे खतरनाक प्रवृत्ति भारत में कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग है। कीट नियंत्रण के लिए इन जहरों के उपयोग से किसानों पर सबसे ज्यादा लागत का बोझ आता है। इस लागत को कम करने से शुद्ध कृषि आय बढ़ाने में योगदान मिलेगा। इसें कहा गया है कि कीट और बीमारी की घटनाओं को रोकने के सिद्ध तरीकों में से एक संतुलित पोषण का उपयोग है।