मुद्रास्फीति बढ़ने, औद्योगिक उत्पादन में सुस्ती से ब्याज दरों में एक और कटौती की संभावना

Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Sep, 2019 10:46 AM

slowdown in industrial production likely to lead to another cut

खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने से भारतीय रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर रेपो में कटौती करने का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है

नई दिल्लीः खाने-पीने की चीजें महंगी होने से अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़ने और औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर सुस्त पड़ने से भारतीय रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दर रेपो में कटौती करने का दबाव एक बार फिर बढ़ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस स्थिति में रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति अगली समीक्षा बैठक में रेपो दर में 0.15 से 0.25 प्रतिशत की और कटौती कर सकती है। अगस्त महीने में खुदरा मुद्रास्फीति मामूली बढ़कर 10 महीने के उच्चतम स्तर 3.21 प्रतिशत पर पहुंच गई।

हालांकि, मुद्रास्फीति अब भी रिजर्व बैंक के निर्धारित लक्ष्य के दायरे में है लेकिन अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण घटक माने जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की चाल कुछ धीमी रहने को देखते हुये संभवत: रिजर्व बैंक रेपो दर में कटौती की दिशा में एक बार फिर विचार कर सकता है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पर आधारित औद्योगिक उत्पादन वृद्धि जुलाई माह में 4.3 प्रतिशत रही यह जून के मुकाबले तो काफी ऊपर है लेकिन एक साल पहले जुलाई के मुकाबले यह नीचे है। जुलाई 2018 में यह 6.5 प्रतिशत रही थी जबकि पिछले महीने जून में काफी नीचे 1.2 प्रतिशत रही थी। जहां तक खुदरा मुद्रास्फीति की बात है जुलाई में यह यह 3.15 प्रतिशत थी और अगस्त में 3.21 प्रतिशत पर पहुंच गई। मामूली वृद्धि इसमें हुई है। एक साल पहले अगस्त में यह 3.69 प्रतिशत पर थी। 

खुदरा मुद्रास्फीति दस महीने पहले अक्टूबर 2018 में 3.38 प्रतिशत थी। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) द्वारा जारी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के अगस्त के आंकड़ों के अनुसार , अगस्त महीने में खाद्य सामग्री वर्ग में 2.99 प्रतिशत मूल्य वृद्धि रही , जो जुलाई में 2.36 प्रतिशत थी। पुनर्निर्माण एवं मनोरंजन क्षेत्र की खुदरा मुद्रास्फीति 5.54 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत देखभाल क्षेत्र में 6.38 प्रतिशत रही। 

क्षेत्र में इसकी दर 6.10 प्रतिशत , मांस एवं मछली में 8.51 प्रतिशत , दाल एवं अन्य उत्पादों में 6.94 प्रतिशत तथा सब्जियों के दाम में 6.90 प्रतिशत वृद्धि रही। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की अप्रैल- जुलाई अवधि में औद्योगिक उत्पादन वृद्धि 3.3 प्रतिशत रही जो कि 2018- 19 की इसी अवधि में 5.4 प्रतिशत रही थी। आईआईपी में सुस्ती वजह इसमें शामिल विनिर्माण क्षेत्र की नरमी रही। जुलाई में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि 4.2 प्रतिशत रही जबकि एक साल पहले यह 7 प्रतिशत रही थी। 
 

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