Edited By jyoti choudhary,Updated: 13 Mar, 2020 10:37 AM
वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) परिषद 14 मार्च को होने वाली बैठक में मोबाइल फोन के लिए जी.एस.टी. का रेट बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। यानी सरकार मोबाइल फोन महंगे करने की तैयारी में है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि...
नई दिल्लीः वस्तु एवं सेवाकर (जी.एस.टी.) परिषद 14 मार्च को होने वाली बैठक में मोबाइल फोन के लिए जी.एस.टी. का रेट बढ़ाकर 18 प्रतिशत करने के प्रस्ताव पर विचार कर सकती है। यानी सरकार मोबाइल फोन महंगे करने की तैयारी में है। मामले से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि इंडस्ट्री में बनी इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर वाली स्थिति दूर करने में इससे मदद मिलेगी।
अभी मोबाइल फोन पर 12 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. लगता है, जबकि इसमें लगने वाले कई पार्ट्स पर 18 प्रतिशत रेट से जी.एस.टी. लगाया जाता है। इससे इनपुट पर लगने वाली ड्यूटी फिनिश्ड गुड्स के मुकाबले ज्यादा हो जाती है और इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर बनता है।
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मोबाइल फोन से जुड़ा इनवर्टेड ड्यूटी वाला मसला कई मौकों पर उठाया गया है। यह मुद्दा इस बार भी उठाया जा सकता है।
अगर काऊंसिल प्रस्ताव को मान लेती है तो जी.एस.टी. रेट बढऩे से हर कैटागरी के मोबाइल फोन का दाम बढ़ सकता है। यह इंडस्ट्री के लिए नुक्सानदेह हो सकता है जो पहले ही मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले कम्पोनैंट पर लगने वाला टैक्स रेट घटाकर 12 प्रतिशत तक लाने की मांग कर रही है ताकि वह समूचे मोबाइल फोन पर लगने वाले टैक्स रेट के बराबर हो जाए।
इंडियन सैल्यूलर इलैक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (आई.सी.ई.ए.) के चेयरमैन पंकज मोहिंद्रू ने कहा, ‘‘प्रिंटेड सर्किट बोर्ड असैंबली (पी.सी.बी.ए.) के पार्ट्स और दूसरी सब-असैंबली या कम्पोनैंट को मोबाइल फोन का पार्ट नहीं माना जाता है, इसलिए उन पर 18 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. लगाया जाता है।