Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Feb, 2020 05:05 PM
शेषाद्री एक्सप्रेस में सफर करने वाले एक यात्री ने दावा किया है कि उसने खाने के लिए बिरयानी मंगाई थी, जिसमें मरी हुई मकड़ी निकली। घटना बीते शुक्रवार की है, यात्री ने इस मामले की शिकायत रेल मंत्रालय से भी की है। मितेश सुराणा नाम के एक यात्री ने ट्वीट...
नई दिल्लीः शेषाद्री एक्सप्रेस में सफर करने वाले एक यात्री ने दावा किया है कि उसने खाने के लिए बिरयानी मंगाई थी, जिसमें मरी हुई मकड़ी निकली। घटना बीते शुक्रवार की है, यात्री ने इस मामले की शिकायत रेल मंत्रालय से भी की है। मितेश सुराणा नाम के एक यात्री ने ट्वीट कर कहा है, 'हमने बिरयानी मंगाई थी लेकिन जैसे ही खाना शुरू किया तो उसमें मकड़ी नजर आई।' मितेश ने बिरयानी की तस्वीर ट्विटर पर ट्वीट की और रेल मंत्रालय, रेल मंत्री पीयूष गोयल और आईआरसीटीसी को टैग किया। हालांकि शिकायत करने के तुरंत बाद ही रेल मंत्रालय ने खेद जताते हुए मितेश से पूरी जानकारी मांगी। रेलवे की ओर से किए गए जवाबी ट्वीट में मंत्रालय ने पेंट्री कार के प्रबंधक पर कार्रवाई के लिए मितेश का पीएनआर नंबर समेत कई आवश्यक जानकारी ली।
बता दें कि आए दिन यात्रियों के द्वारा खान-पान को लेकर शिकायतें मिलती रहती हैं। समय रहते रेलवे इस पर कार्रवाई भी करती है। शेषाद्री एक्सप्रेस में भी मितेश को जब ट्रेन के अंदर पेंट्री कार की तरफ से कार्रवाई के लिए ठोस आश्वासन नहीं मिला तो उसने इसकी शिकायत रेलवे से कर दी। रेलवे की तरफ से भी तुरंत जवाब आ गया। हाल के वर्षों में भारतीय रेलवे यात्रियों के साथ हो रही असुविधा के लिए अक्सर खेद प्रकट करती रहती है। इंडियन रेलवे के द्वारा खानपान और यात्री सुरक्षा के लिए हेल्प लाइन नंबर भी है।
आईआरसीटीसी के हवाले है खान-पान का जिम्मा
कैटरिंग सर्विस को सबसे पहले साल 2005 में आईआरसीटीसी को दिया गया था। कुछ साल बाद आईआरसीटीसी से वापस लेकर जोनल रेलवे को दे दिया गया था। बाद में एक बार फिर उसे आईआरसीटीसी को दे दिया गया। विशेषज्ञों का मानना है कि रेलवे ने खाने का जिम्मा निजी हाथों में जब से सौंपा है, इसका बंटाधार शुरू हो गया है। रेलवे ने भोजन व्यवस्था को निजी हाथों में सौंपते समय दलील दी थी कि इससे भोजन की क्वॉलिटी सुधरेगी और कमजोर वर्ग को काम भी मिलेगा लेकिन धीरे-धीरे इसमें मुनाफाखोरों ने घुसपैठ कर ली, जिन्हें भोजन की गुणवत्ता से कोई मतलब नहीं है।