राज्य नहीं हासिल कर पा रहे सैस का निर्धारित लक्ष्य, GST के मुआवजे में हो सकती है कमी

Edited By Pardeep,Updated: 11 Dec, 2019 12:17 AM

state is unable to achieve the set target of sais

वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) में राज्यों को मिल रहे मुआवजे को लेकर अभी कई राज्यकेंद्र पर दबाव डाल रहे हैं, इसी बीच इसमें और कमी होने की आशंकाएं उठ सकती हैं। खबर है कि राज्यों द्वारा 14 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हासिल न करने की स्थिति में केन्द्र सरकार...

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जी.एस.टी.) में राज्यों को मिल रहे मुआवजे को लेकर अभी कई राज्यकेंद्र पर दबाव डाल रहे हैं, इसी बीच इसमें और कमी होने की आशंकाएं उठ सकती हैं। खबर है कि राज्यों द्वारा 14 प्रतिशत की दर से ग्रोथ हासिल न करने की स्थिति में केन्द्र सरकार द्वारा दिए जाने वाले जी.एस.टी. के मुआवजे की दर को कम किया जा सकता है क्योंकि केंद्र सरकार इस दर को मेंटेन नहीं कर पा रही। 

सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि वित्त आयोग ने संकेत दिया है कि राज्यों द्वारा 14 प्रतिशत की राजस्व ग्रोथ हासिल न करने के कारण केन्द्र सरकार पर राज्यों को मुआवजा देने का दबाव बढ़ रहा है जबकि केन्द्र ऐसा नहीं कर पा रहा। हाल ही में कई राज्यों के वित्त मंत्रियों ने इसे मुद्दा बना कर केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात भी की थी। सूत्रों के मुताबिक स्लोडाऊन के चलते पैट्रोलियम, लिकर और स्टाम्प ड्यूटी कलैक्शन पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है। राज्यों को 16,000 करोड़ के सैस कलैक्शन की जरूरत है लेकिन उन्हें 7,500 करोड़ का कलैक्शन ही मिल रहा है यानी निर्धारित लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा। 

सूत्रों ने बताया है कि वित्त आयोग ने सुझाव दिया है कि राज्यों को जी.एस.टी. का मुआवजा देते रहने की अवधि 2022 से ज्यादा बढ़ानी चाहिए लेकिन इसकी दर कम की जानी चाहिए। बता दें कि जी.एस.टी. लागू होते वक्त जी.एस.टी. (कम्पेनसैशन टू स्टेट्स) 2017 में केन्द्र की ओर से राज्यों को भरोसा दिलाया गया था कि सरकार जी.एस.टी. से होने वाले राजस्व के नुक्सान की भरपाई के लिए राज्यों को 14 प्रतिशत की दर से जी.एस.टी. मुआवजा देगी। ऐसा अगले 5 सालों तक करते रहने का प्रावधान बनाया गया था। यह दर 2015-16 के रैवेन्यू के आधार पर रखी गई है।

हालांकि पिछले 3 महीनों में जी.एस.टी. कलैक्शन में लगातार कमी आई है, जिसके बाद राज्यों को इसका मुआवजा नहीं मिला है और उनकी वित्तीय स्थिति कमजोर हुई है। बता दें कि 17-18 दिसम्बर को जी.एस.टी. काऊंसिल की बैठक होनी है जिसमें राज्यों और केंद्र के अधिकारियों के बीच इस समस्या पर बात होगी। 

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