Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Jun, 2017 10:09 AM
स्टेट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटर्स जल्द ही उन राज्यों व बिजली कम्पनियों पर जुर्माना ..
नई दिल्ली: स्टेट इलैक्ट्रिसिटी रैगुलेटर्स जल्द ही उन राज्यों व बिजली कम्पनियों पर जुर्माना लगा सकते हैं जो तय नियमों के मुताबिक सोलर पावर या रिन्यूएबल एनर्जी नहीं खरीद रहे हैं। ऐसे में यदि राज्य या बिजली कम्पनियां इस जुर्माने को अपने खर्च में शामिल करते हैं तो इसका बोझ कंज्यूमर्स को झेलना पड़ेगा। गत दिवस फोरम ऑफ रैगुलेटर्स की बैठक में यह प्रस्ताव पावर एवं न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी मिनिस्टर पीयूष गोयल ने रखा और अपील की कि इस पर गंभीरता से विचार किया जाए तथा जल्द से जल्द एक फ्रेमवर्क तैयार कर राज्यों व डिस्कॉम्स को इसकी जानकारी दी जाए।
पीयूष गोयल ने अपील की कि जो राज्य आर.पी.ओ. और आर.ई.सी. (रिन्यूएबल एनर्जी सर्टीफिकेट) का पालन नहीं कर रहे हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने एक फ्रेमवर्क तैयार करने को कहा जिसमें पैनल्टी का प्रोविजन किया जाए। पैनल्टी संबंधी नोटिस पब्लिक डोमेन में डाला जाए और 90 दिन या इससे कम समय में जवाब मांगा जाए। पब्लिक डोमेन में डालने का फायदा यह होगा कि राज्य के सभी लोगों को यह पता चलेगा कि उनकी सरकार या डिस्कॉम की वजह से उन पर अतिरिक्त बोझ पड़ सकता है। इसलिए लोग राज्य सरकार पर दबाव बना सकते हैं।
घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की वकालत
अक्षय ऊर्जा क्षेत्र की एक सलाहकार कम्पनी ने भारत के सौर ऊर्जा संयंत्र के उपकरणों के लिए आयात पर खासकर चीन पर अत्यधिक निर्भरता के मद्देनजर इस क्षेत्र के घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की वकालत की है। ‘ब्रिज टू इंडिया’ के अनुसार देश में वर्ष 2016-17 के दौरान सौर ऊर्जा संयंत्रों के करीब 89 प्रतिशत उपकरणों का आयात किया गया जिनकी कीमत लगभग 3 अरब डॉलर थी। विश्व में सौर उपकरणों के निर्माण में चीन का प्रभुत्व है और उसने सोलर पी.वी. में प्रौद्योगिकी उन्नयन में बाजार पर नियंत्रण की कोशिश के तहत विस्तृत कार्य योजना तैयार की है।