जनवरी-मार्च में केवल भारत में ही बढ़ा इस्पात उत्पादन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Apr, 2022 06:23 PM

steel production increased in january march only in india

विश्व के 10 सबसे बड़े उत्पादक देशों में केवल भारत ने जनवरी से मार्च 2022 की अवधि में उत्पादन में वृद्धि दर्ज की है। यह जानकारी वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों में दी गई है। केंद्रीय इस्पात मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने अपने...

नई दिल्लीः विश्व के 10 सबसे बड़े उत्पादक देशों में केवल भारत ने जनवरी से मार्च 2022 की अवधि में उत्पादन में वृद्धि दर्ज की है। यह जानकारी वर्ल्ड स्टील एसोसिएशन द्वारा जारी किए गए ताजा आंकड़ों में दी गई है। केंद्रीय इस्पात मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने अपने ट्विटर अकाउंट पर इन आंकड़ों को पेश करते हुए भारतीय इस्पात उद्योग को इस सफलता के लिए शनिवार को बधाई दी। 

वर्ल्ड स्टील की रिपोर्ट के अनुसार भारत ने मार्च 2022 में 1.09 करोड़ टन इस्पात का उत्पादन किया जो एक वर्ष पहले इसी माह की तुलना में 4.4 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह इस वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में देश में इस्पात उत्पादन 5.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 3.19 करोड़ टन रहा। भारत दुनिया में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। इस्पात के सबसे बड़े उत्पादक चीन का मार्च,22 का उत्पादन एक साल पहले की तुलना में 6.4 प्रतिशत घट कर 8.83 करोड़ टन रहा। 

इसी तरह इस वर्ष पहली तिमाही में उसका इस्पात उत्पादन पिछले वर्ष इसी अवधि की तुलना में 10.5 प्रतिशत गिर कर 24.34 करोड़ टन रहा। इसी तरह जापान में जनवरी-मार्च तिमाही में इस्पात का उत्पादन वार्षिक आधार पर 2.9 प्रतिशत गिर कर 2.3 करोड़ टन, अमेरिका में उत्पादन 0.4 प्रतिशत गिर कर 2.03 करोड़ टन, रूस 1.2 प्रतिशत गिर कर 1.87 करोड़ टन, दक्षिण कोरिया में 3.8 प्रतिशत गिर कर1.69 करोड़ टन, जर्मनी में 3.7 प्रतिशत गिर कर 98 लाख टन , तुर्की में 4.7 प्रतिशत गिर कर 94 लाख टन , ब्राजील में इस्पात उत्पादन आलोच्य तिमाही में 2.2 प्रतिशत की गिरावट के साथ 85 लाख टन और ईरान में 4.4 प्रतिशत की गिरावट के साथ 69 लाख टन रहा। 

भारत ने 2017 में जारी नई राष्ट्रीय इस्पात नीति में वर्ष 2030 तक इस्पात उत्पादन क्षमता को 30 करोड़ टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। सिंह का कहना है कि 2025 तक इस्पात उत्पादन की नई क्षमता का वर्तमान संयंत्रों के क्षमता विस्तार से जुड़ेगी। उसके बाद ही कुछ नए संत्र स्थापित होंगे। भारतीय इस्पात उद्योग के लिए उत्पादन बढ़ाने के साथ साथ कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण की भी चुनौती है। 

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