Edited By Punjab Kesari,Updated: 06 Mar, 2018 10:52 AM
पहले से ही गन्ना बकाए की समस्या से जूझ रही देश की शूगर इंडस्ट्री के लिए ज्यादा प्रोडक्शन (उत्पादन) बड़ी मुसीबत बन सकता है। अब इंडस्ट्री की आस एक्सपोर्ट पर टिकी है। दरअसल चीनी मिलों का चीनी प्रोडक्शन अक्तूबर-फरवरी के दौरान 41.7 प्रतिशत बढ़कर 2.305...
नई दिल्लीः पहले से ही गन्ना बकाए की समस्या से जूझ रही देश की शूगर इंडस्ट्री के लिए ज्यादा प्रोडक्शन (उत्पादन) बड़ी मुसीबत बन सकता है। अब इंडस्ट्री की आस एक्सपोर्ट पर टिकी है। दरअसल चीनी मिलों का चीनी प्रोडक्शन अक्तूबर-फरवरी के दौरान 41.7 प्रतिशत बढ़कर 2.305 करोड़ टन तक पहुंच गया जबकि एक साल पहले समान अवधि में यह 1.626 करोड़ टन रहा था। इंडस्ट्री ऑर्गेनाइजेशन इंडियन शूगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने एक बयान के माध्यम से यह जानकारी दी। वहीं 28 फरवरी तक देश की 522 चीनी मिलों में 43 फैक्टरियों में गन्ने की पिराई बंद हो गई।
मार्कीट एक्सपर्ट्स ने मौजूदा शूगर सीजन में चीनी प्रोडक्शन बढ़कर 2.95 करोड़ टन रहने का अनुमान जाहिर किया जो पहले के 2.50-2.55 करोड़ टन के अनुमान से काफी ज्यादा है। वहीं आल इंडिया शूगर ट्रेड एसोसिएशन ने भी वीरवार को आऊटपुट के अनुमान को 2.64 करोड़ टन से बढ़ाकर 2.9 करोड़ टन कर दिया था।]
चीनी की कीमतें गिरने के आसार
प्रोडक्शन बढऩे के अनुमान से चीनी की कीमतें गिरने के आसार व्यक्त किए जा रहे हैं। आई.सी.आर.ए. ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अगर प्रोडक्शन मौजूदा अनुमान से ज्यादा रहता है तो चीनी की कीमतों पर फिर से प्रैशर देखने को मिल सकता है।
एक्सपोर्ट बढऩे से मिलेगी मिलों को राहत
एसोसिएशन ने कहा कि निर्यात से चीनी मिलों को अतिरिक्त कैश फ्लो मिलेगा जिससे गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य के पेमैंट में सुधार किया जा सकेगा और गन्ना बकाए में कमी आएगी। गन्ना बकाया तेजी से बढ़ता जा रहा है।