चीनी सत्र 2018-19: चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन की घरेलू मांग से हो सकता है अधिक

Edited By Isha,Updated: 26 Feb, 2019 12:07 PM

sugar production can be higher than domestic demand of 2 6 million tonnes

चीनी सत्र 2018-19 के दौरान कम बरसात के कारण चीनी उत्पादन अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद पिछले बचे स्टॉक की वजह से देश में चीनी का स्टॉक जरूरत से ज्यादा बना हुआ है। चीनी उद्योग से संबंधित एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी

 

बिजनेस डेस्कः चीनी सत्र 2018-19 के दौरान कम बरसात के कारण चीनी उत्पादन अपेक्षाकृत कम होने के बावजूद पिछले बचे स्टॉक की वजह से देश में चीनी का स्टॉक जरूरत से ज्यादा बना हुआ है। चीनी उद्योग से संबंधित एक ताजा रिपोर्ट में यह जानकारी दी गयी है। इंडिया रेटिंग ने एक रिपोर्ट में कहा कि अपर्याप्त बरसात तथा उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में कीटों के प्रकोप से 2018-19 के पेराई सीजन में चीनी उत्पादन करीब तीन करोड़ टन के आसपास रहने का अनुमान है। यह 2017-18 के 3.23 करोड़ टन के उत्पादन से कम है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2018-19 में चीनी की घरेलू मांग 2.6 करोड़ टन रहेगी। इस तरह उत्पादन घरेलू मांग से कहीं अधिक रहेगा। पिछले साल के बचे हुए 1.07 करोड़ टन (जो वर्ष 2017-18 में 39 लाख टन था) के स्टॉक के साथ, पेराई सत्र की समाप्ति पर लगभग 1.1 करोड़ टन (30 लाख टन के बफर स्टॉक के साथ) का स्टॉक रह जाने की उम्मीद है। इस बीच, इंडिया रेटिंग को उम्मीद है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की बढ़ोतरी के कारण घरेलू थोक बिक्री मूल्य को बढ़ाकर 33-34 रुपए प्रति किग्रा कर देगा जो स्तर नवंबर 2018 से 31-32 रुपए प्रति किलोग्राम पर बना हुआ है।

इससे चीनी मिलों के परिचालन लाभ में सुधार होने की संभावना है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के अनुसार, एमएसपी में बढ़ोतरी का मुख्य उद्देश्य गन्ना बकाया का निपटान करने में मिलों की मदद करना है। 13 फरवरी, 2019 को किसानों का मिलों पर बकाया 20,200 करोड़ रुपए था।

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