Edited By Isha,Updated: 19 Dec, 2018 09:57 AM
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने मंगलवार को कहा कि चालू चीनी विपणन वर्ष में 15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन 70.5 लाख टन रहा जो एक साल पहले से 2.1 प्रतिशत ऊंचा है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर महीने से शुरू होता है। विपणन वर्ष 2017-18
नई दिल्लीः भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने मंगलवार को कहा कि चालू चीनी विपणन वर्ष में 15 दिसंबर तक चीनी उत्पादन 70.5 लाख टन रहा जो एक साल पहले से 2.1 प्रतिशत ऊंचा है। चीनी विपणन वर्ष अक्टूबर महीने से शुरू होता है। विपणन वर्ष 2017-18 की इसी अवधि में 69 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। इस्मा के पूर्वानुमान के अनुसार 2018-19 विपणन वर्ष में भारत में चीन उत्पादन 3.15 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले वर्ष 3.25 करोड़ टन चीनी का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2018-19 में चीनी की खपत 2.6 करोड़ टन रहने का अनुमान है। इस्मा ने एक बयान में कहा, 15 दिसंबर को, 462 चीनी मिलें गन्ना पेराई का काम कर रही थीं और उन्होंने 70.5 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, यानी पिछले साल के 69 लाख टन चीनी उत्पादन की तुलना में यह 2.1 प्रतिशत अधिक है।
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन इस साल 15 दिसंबर तक बढ़कर 29 लाख टन हो गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में चीनी का उत्पादन 25.7 लाख टन का उत्पादन हुआ था। राज्य में करीब 176 चीनी मिलें परिचालन कर रही हैं और अब तक की औसत चीनी प्राप्ति की दर 10.18 फीसदी है जो पिछले साल 10.10 प्रतिशत ही था। जबकि देश में चीनी के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य, उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन पिछले साल के 23.3 लाख टन की तुलना में इस बार अब तक 18.9 लाख टन ही है। हालांकि देश में चीनी के तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य, कर्नाटक में चीनी का उत्पादन इस बार अभी तक अधिक यानी 13.9 लाख टन है जो पिछले साल इसी अवधि में 11.2 लाख टन था
इस्मा ने कहा, महाराष्ट्र के कई गन्ना उत्पादक जिलों में सामान्य से कम बारिश और ‘ह्वाईट ग्रब’ के संक्रमण के कारण, महाराष्ट्र में कुछ महत्वपूर्ण गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में चीनी उत्पादन प्रतिकूल ढंग से प्रभावित हुआ और इसलिए महाराष्ट्र पिछले साल की तुलना में कम उत्पादन होने की उम्मीद है। उसने कहा है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक में चीनी उत्पादन पिछले साल की अवधि की तुलना में थोड़ा अधिक है क्योंकि चीनी मिलों ने पिछले सत्र की तुलना में गन्ना पेराई को पहले ही शुरु कर दिया था।