Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Sep, 2018 03:26 PM
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए उद्योग की मांग के अनुसार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में इजाफा नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार गन्ना किसानों और चीनी उद्योग में सुधार...
नई दिल्लीः केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि सरकार उपभोक्ताओं के हितों के संरक्षण के लिए उद्योग की मांग के अनुसार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में इजाफा नहीं करना चाहती है। उन्होंने कहा कि सरकार गन्ना किसानों और चीनी उद्योग में सुधार के लिए काम करने को उत्सुक है।
गन्ना किसानों और चीनी उद्योग के हितों की रक्षा के लिए सरकार ने चीनी उद्योग के लिए 55 अरब रुपए के पैकेज को मंजूरी दी है जिसमें मुख्य चीनी उद्योग और संबद्ध सेवाओं के लिए परिवहन सब्सिडी भी शामिल है। चीनी के एमएसपी में और वृद्धि के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। किसान भी यह बात बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। चीनी के दामों में आ रही लगातार गिरावट थामने के लिए केंद्र ने इस साल जून में इसका एमएसपी प्रति किलोग्राम 29 रुपए तय किया था। सरकार के अनुसार यह कीमत मिलों के लाभ और उत्पादन लागत की भरपाई के लिए पर्याप्त है। हालांकि इसके विपरीत मिलें चीनी का एमएसपी पांच रुपए बढ़ाकर प्रति किलोग्राम 34 रुपए करने की मांग कर रही हैं।
उद्योग के विशेषज्ञ गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में इजाफा होने के बाद इसे ही उत्पादन लागत मानते हैं। केंद्र ने इस साल मई में 2017-18 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 25 रुपए तक बढ़ाकर प्रति क्विंटल 255 रुपए कर दिया था और फिर 2018-19 के लिए इसे प्रति क्विंटल 20 रुपए बढ़ाकर 275 कर दिया गया। पिछले कुछ सालों से श्रम लागत के अलावा परिवहन लागत में भी काफी इजाफा हो चुका है जिसके परिणामस्वरूप चीनी की उत्पादन लागत भी बढ़ी है। मंत्री ने कहा कि प्रोत्साहन दिए जाने से चीनी मिलें अपना गन्ना बकाया 200 अरब रुपए से कम करके 129 अरब रुपए पर ले आई हैं।