प्याज निर्यात पर रोक: बांग्लादेश में फिर से शुरू हो सकती है सप्लाई, तैयारी में सरकार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Sep, 2020 12:49 PM

supply in bangladesh may resume government in readiness

पिछले सप्ताह प्याज की कीमतों में इजाफा होने के बाद केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन अब कुछ पड़ोसी देशों में इसकी सप्लाई एक बार फिर शुरू हो सकती है। इसमें बांग्लादेश का भी नाम शामिल है। सरकार ने इस पर अभी कोई

नई दिल्लीः पिछले सप्ताह प्याज की कीमतों में इजाफा होने के बाद केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन अब कुछ पड़ोसी देशों में इसकी सप्लाई एक बार फिर शुरू हो सकती है। इसमें बांग्लादेश का भी नाम शामिल है। सरकार ने इस पर अभी कोई अंतिम फैसला नहीं लिया है लेकिन इसके लिए बातचीत का दौर शुरू हो गया है। इस मामले से जुड़े लोगों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।

भारत से निर्यात बैन के बाद बांग्लादेश में बढ़ी कीमतें
बांग्लादेश में प्याज की खपत ज्यादा होती है। भारत से बड़े स्तर पर प्याज का निर्यात होता है। बांग्लादेश हर साल भारत से करीब 3.50 लाख टन प्याज का आयात करता है। सरकार द्वारा प्याज निर्यात पर बैन के बाद ही बांग्लादेश के ढाका में कीमतें प्रति किलो 90-100 टका तक पहुंच गया है। इसके ठीक एक दिन पहले यहां प्याज की कीमतें 50 टका पर था।

बारिश बारिश ने कम की प्याज की आवक
मालूम हो कि इस साल प्याज उत्पादक राज्यों में अत्यधिक बारिश की वजह से फसल पर असर पड़ा है। इसके बाद घरेलू बाजार में कीमतों में तेजी देखने को मिली। आवक की कमी के बाद सरकार ने बीते 14 सितंबर को प्याज के निर्यात पर बैन लगा दिया था ताकि घरेलू बाजार में कीमतें काबू में आ सके।

दुनियाभर में प्याज की सबसे ज्यादा खेती भारत में ही की जाती है। दक्षिण एशियाई खानों में प्याज का सबसे ज्यादा इस्तेमाल भी होता है। यही कारण है कि बांग्लादेश, नेपाल, मलेशिया और श्रीलंका जैसे देश भारतीय प्याज पर ही निर्भर रहते हैं। एक महीने के अंदर ही महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज का थोक भाव 30,000 रुपए प्रति टन पहुंच गया है। लासलगांव देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है।

प्याज का उत्पादन मुख्यत: छह राज्यों में होता है. 50 फीसदी प्याज भारत की 10 मंडियों से ही आता है। इनमें से छह महाराष्ट्र और कर्नाटक में हैं। इसका मतलब हुआ कि कुछ सौ व्यापारियों के हाथ में 50 फीसदी प्याज की कीमतें रहती हैं। ये व्यापारी अपने तरीकों से प्याज की कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। साथ ही प्याज का कोई न्यूनतम समर्थन मूल्य तय नहीं है।

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