Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jun, 2020 10:44 AM
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मोर्गन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क बैंक खातों से ब्याज सहित 140 करोड़ रुपए यूको बैंक में खोले गए ‘एस्क्रो'' खाते में
नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मोर्गन को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्क बैंक खातों से ब्याज सहित 140 करोड़ रुपए यूको बैंक में खोले गए ‘एस्क्रो' खाते में डालने का निर्देश दिया। कंपनी पर आम्रपाली समूह के मकान खरीदरों के पैसे का कथित रूप से हेरफेर करने और दूसरे कामों में उपयोग करने का आरोप है।
‘एस्क्रो' खाता अस्थायी तौर पर पैसा सुरक्षित रखने के लिए अलग से किसी तीसरे पक्ष के पास खोला जाता है। शीर्ष अदालत ने तीन जून को जेपी मोर्गन को 140 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था। मामले में पिछले साल के आदेश और फोरेंसिक आडीटरों की रिपोर्ट के मुताबिक नियमों की अनदेखी कर 140 करोड़ रुपए की कथित हेराफेारी की गई।
न्यायालय ने कहा था कि धन का उपयोग बंद पड़ी कंपनी की लंबित परियोजनाओं को पूरा करने में किया जाएगा। न्यायाधीश अरूण मिश्रा और न्यायाधीश यूयू ललित की पीठ ने मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेन्सिंग के जरिये करते हुए कहा कि जेपी मोर्गन के पैसे वापसी का कोई भी दावा उसके खिलाफ दायर मनी लांड्रिग- रोधी कानून (पीएमएलए) मामले में अंतिम आदेश पर निर्भर करेगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता और अदालत द्वारा आम्रपाली समूह की संपत्ति के लिए ‘रिसीवर' नियुक्त किए गए आर वेंकटरमानी ने पीठ के यूको बैंक के साथ बैठक के बारे में सूचना दी। बैंक ने उनसे कहा कि वह आरबीआई के कुछ उपबंधों के कारण अनबिके मकानों को गिरवी रखकर अटकी पड़ी परियोजनाओं को पूरा करने के लिए कर्ज देने में असमर्थ है। पीठ ने यूको बैंक से वेंकटरमानी के साथ मामले पर काम करने को कहा। पीठ ने यह पूछा कि क्या वह एसबीआई कैप वेंचर्स के साथ जुड़ सकती है।
एसबीआई कैप वेंचर्स रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सरकार प्रायोजित दबाव वाले कोष का प्रबंधन कर रही है और विशेष उद्देश्यीय इकाई (एसपीवी) के जरिए अटकी पड़ी परियोजनाओं को वित्त उपलब्ध कराने पर सहमत हुई है। इससे पहले, यूको बैंक ने न्यायालय के ‘रिसीवर' के माध्यम से कहा था कि वह बिनाबिके 5,221 इकाइयों को गिरवी रखकर 2,000 करोड़ रुपए के बराबर कोष उपलब्ध करा सकता है।