Edited By rajesh kumar,Updated: 18 Sep, 2020 01:41 PM
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय स्टेट बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसके तहत वह अनिल अंबानी पर दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से लगाए गए स्टे ऑर्डर हटाने की मांग कर रहा था।
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय स्टेट बैंक की उस याचिका को खारिज कर दिया है जिसके तहत वह अनिल अंबानी पर दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से लगाए गए स्टे ऑर्डर हटाने की मांग कर रहा था। टेलीकॉम कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के चेयरमैन अनिल अंबानी की बैंकरप्सी प्रक्रिया पर दिल्ली हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है जिसे स्टेट बैंक हटाने की मांग कर रहा था। जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने 6 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट को इस मुद्दे पर विचार करने का निर्देश दिया है।
अगस्त महीने में दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में अनिल अंबानी के खिलाफ इनसॉल्वेंसी रेज्योलूशन प्रोसेस (IRP) पर रोक लगा दी थी। मामला 1200 करोड़ रुपए के लोन से जुड़ा हुआ है। एसबीआई बैंक ने अनिल अंबानी की दो कंपनियों को लोन दिया था जो कंपनी लौटा नहीं पाईं। अनिल अंबानी ने अगस्त 2016 में आरकॉम के लिए 565 करोड़ रुपए और रिलायंस इंफ्राटेल के लिए 635 करोड़ रुपए की पर्सनल गारंटी दी थी।
हालांकि अब प्रमोटर की तरफ से 1000 करोड़ रुपए या इससे ज्यादा की पर्सनल गारंटी पर नया नियम लागू हो गया है। नवंबर तक IBC के दायरे में सिर्फ भारतीय कंपनियां आती थीं प्रमोटर नहीं। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में SBI ने कहा था कि पर्सनल गारंटी जब्त करने के बाद कई प्रमोटर दिल्ली हाई कोर्ट का रुख कर चुके हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर अपनी याचिका में अनिल अंबानी ने IBBI (Insolvency Resolution Process for Personal Guarantors to Corporate Debtors) रेगुलेशंस, 2019 की वैधता को चुनौती दी थी। जहां पर्सनल गारंटी मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हो रही है वहीं 45,000 करोड़ रुपए बकाए को लेकर NCLT में यह मामला लंबित है।