सुप्रीम कोर्ट का RBI को आदेश, बैंक लॉकर पर 6 महीने में बनाए रेगुलेशंस

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Feb, 2021 10:42 AM

supreme court orders rbi regulations made on bank locker in 6 months

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकों में लॉकर फैसिलिटी मैनेजमेंट को लेकर 6 महीने के भीतर रेगुलेशंस बनाने को कहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि बैंक लॉकर सेवा को लेकर अपने ग्राहकों से मुंह नहीं मोड़ सकते।

बिजनेस डेस्कः सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से बैंकों में लॉकर फैसिलिटी मैनेजमेंट को लेकर 6 महीने के भीतर रेगुलेशंस बनाने को कहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि बैंक लॉकर सेवा को लेकर अपने ग्राहकों से मुंह नहीं मोड़ सकते। न्यायाधीश एमएम शांतनगौडर और न्यायाधीश विनीत सरन की पीठ ने कहा कि वैश्वीकरण के साथ बैंक संस्थानों ने आम लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका हासिल की है। इसका कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक लेन-देन का कई गुना बढ़ना है।

PunjabKesari

शीर्ष अदालत ने कहा कि लोग घरों पर तरल संपत्ति (नकदी, गहने आदि) रखने से हिचक रहे हैं, क्योंकि हम धीरे-धीरे नकद रहित अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहे हैं। पीठ ने कहा, ‘इसलिए बैंकों द्वारा उपलब्ध कराया जाने वाला लॉकर जरूरी सेवा बन गया है। इस प्रकार की सेवाएं नागरिकों के साथ विदेशी नागरिक भी ले सकते हैं।’ न्यायालय ने कहा कि हालांकि इलेक्ट्रॉनिक रूप से परिचालित लॉकर का विकल्प है, लेकिन इसमें गड़बड़ी करने वाले सेंध लगा सकते हैं। साथ ही अगर लोग तकनीकी रूप से जानकार नहीं हैं तो उनके लिए ऐसे लॉकर का परिचालन भी कठिन होता है।

PunjabKesari

बैंक जिम्मेदारी से नहीं बच सकते
पीठ ने कहा कि ग्राहक पूरी तरह से बैंक पर आश्रित हैं, जो उनकी संपत्ति के संरक्षण के लिए काफी सक्षम पक्ष है। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘ऐसी स्थिति में, बैंक इस मामले में मुंह नहीं मोड़ सकते और यह दावा नहीं कर सकते कि लॉकर के संचालन के लिए वे अपने ग्राहकों के प्रति कोई दायित्व नहीं रखते हैं।’ पीठ ने कहा, ‘बैंकों का इस प्रकार का कदम न केवल उपभोक्ता संरक्षण कानून के संबंधित प्रावधानों का उल्लंघन है, बल्कि निवेशकों के भरोसे और एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में हमारी साख को नुकसान पहुंचाता है।’

PunjabKesari

न्यायालय ने कहा, ‘इसीलिए, यह जरूरी है कि आरबीआई एक व्यापक दिशानिर्देश लाए, जिसमें यह अनिवार्य हो कि लॉकर के संदर्भ में बैंकों को क्या कदम उठाने हैं।’ शीर्ष अदालत ने कहा कि बैंकों को यह स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए कि वे ग्राहकों पर एकतरफा और अनुचित शर्तें थोपे। पीठ ने कहा, ‘इसके मद्देनजर हम आरबीआई को इस आदेश के छह महीने में इस संदर्भ में उपयुक्त नियम बनाने का निर्देश देते हैं।’ न्यायालय का यह फैसला कोलकाता के अमिताभ दासगुप्ता की अपील पर आया है।

किसने की थी अपील
दासगुप्ता ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान अयोग के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी। उन्होंने जिला उपभोक्ता मंच के समक्ष आवेदन देकर यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया को लॉकर में रखे सात आभूषणों को लौटाने या फिर उसकी लागत और नुकसान के एवज में क्षतिपूर्ति के रूप में 3 लाख रुपए का भुगतान करने का निर्देश देने का आग्रह किया था। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटान आयोग ने राज्य आयोग के इस आदेश को स्वीकार किया कि लॉकर में रखे सामान की वसूली के संदर्भ में उपभोक्ता मंच का अधिकार क्षेत्र सीमित है।

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!